नई दिल्ली। हम लोग बदलती दुनिया के जिस युग का हिस्सा है, इसमें जीना बहुत आरामदायक लग रहा है, लेकिन इस भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हम खुद को जोखिम में डाल कर टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रहे हैं. हम अपना पूरा जीवन टेक्नोलॉजी के हिसाब से जीने की कोशिश कर रहे है. आज के दौर में तनाव और डिप्रेशन की समस्या से पूरा देश गुजर रहा है, ऐसा कोई समाधान नही जिससे लंबे समय तक के लिए आपको आराम मिल सके. ऐसा करने के लिए आपको अपनी आदतों में और लाइफस्टाइल में बदलाव लाना होगा, टेक्नॉलजी का उपयोग कम करना होगा, तब तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्या से आराम मिल पाए. जानें तनाव के लिए कौन से हॉर्मोन जिम्मेदार होते है.
जब बॉडी में स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज होते है, तो इसकी वजह से बॉडी के और भी होर्मोन्स रिलीज हो सकते है. लेकिन अगर ये क्रोनिक स्ट्रेस बन जाए तो इंसान को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है. जब आप स्ट्रेस लेते है तो बॉडी से निकलने वाला हॉर्मोन आपको और सोचने पर मजबूर कर देता है, जिससे आपका तनाव और ज़्यादा हो जाता है. आप सोचते- सोचते एक ऐसे मौड़ पर आ जाते है जहां फिर सही- गलत नही समझ आ पाता. अगर आप इन हॉर्मोन्स पर रोक नही लगाते है तो ये आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को कमजोर करते है और आप थकान महसूस करने लगते है.
दुनिया के हर इंसान को स्ट्रेस होता है, इससे यह मतलब नही है की इसके होने से हम बचाव नही कर सकते है. इसके कई सुझाव है और सबसे आसान है की जब भी आपको ज़्यादा स्ट्रेस हो तो खुल कर एक लंबी सांस लेनी चाहिए, अच्छे रिलीफ वाले सोंग्स सुनने चाहिए और रोज़ाना मेडिटेशन करना चाहिए. इससे आप काफ़ी ऊर्जावान फील कर पायेंगे. आपको अपने डेली टार्गेट को पूरा करने में आसानी होगी लेकिन आप स्ट्रेस लेते ही जा रहे है तो ये स्ट्रेस माइग्रेन में तब्दील हो सकता है और आपको अंदर से कमज़ोर बना सकता है. साथ ही आप के डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है.
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