नई दिल्ली: गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं को कुछ न कुछ खाने की इच्छा होती रहती हैं. इस स्थिति को फूड क्रेविंग कहते है. जाने की गर्भावस्था के किस महीने से महिलाओं को क्रेविंग शुरू होती है।
गर्भावस्था में महिलाओं को अक्सर कुछ खाने की इच्छा होना (क्रेविंग ) देखने को मिलता है। इस समय में उन्हें वो चीजें भी खाने का मन कर सकता है जो कभी उन्हें बिल्कुल नापसंद हुआ करती थीं। गर्भावस्था के दौरान क्रेविंग होना सामान्य बात है और अगर आप भी प्रेग्नेंट हैं या गर्भधारण की सोच रही हैं तो जरा जान लीजिए कि प्रेगनेंसी के कौन से महीने में क्रेविंग शुरू होती है और इसका क्या कारण है।
एक रिसर्च के मुताबिक, 50 से 90 फीसदी महिलाओं को गर्भावस्था में किसी विशेष खाद्य पदार्थ के लिए क्रेविंग होती ही है। प्रेगनेंसी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण ऐसा हो सकता है। लगातार हार्मोंस में आ रहे बदलाव का, स्वाद और सूंघने की क्षमता पर असर पड़ता है। इसी वजह से गर्भवती महिलाओं और मेनापॉज से गुजर रही महिलाओं को क्रेविंग और अपनी ही पसंद की चीजों को न खाने की इच्छा हो सकती है।
ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में क्रेविंग शुरू होती है। दूसरी तिमाही में क्रेविंग सबसे ज्यादा रहती है और तीसरी तिमाही तक इसमें कमी आने लगती है। डॉक्टरों का कहना है कि क्रेविंग डिलीवरी के कुछ बाद समय बाद तक भी रहती हैं। यहां तक कि कुछ महिलाओं को एक या दो दिन कोई विशेष चीज खाने का मन करता है तो उससे अगले दिन कुछ और खाने की इच्छा होती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को आइस्क्रीम या चॉकलेट जैसा कुछ मीठा, चीज, स्टार्चयुक्त कार्बोहाइड्रेट, फल, सब्जियां, फास्ट फूड जैसे कि चाइनीज खाना या पिज्जा खाने का मन कर सकता है।
कुुछ क्रेविंग खतरनाक हो सकती हैं। अगर आपको कुछ गंदा, साबुन या ऐसा कुछ खाने का बहुत मन कर रहा है जो शिशु और आपके लिए ठीक नहीं है तो आपको इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। ऐसी गर्भवती महिलाएं कम ही होती हैं जिन्हें शराब या ड्रग्स लेने की क्रेविंग हो। ये शिशु के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर आपको लग रहा है कि आपको किसी गलत चीज को खाने की क्रेविंग हो रही है तो इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
प्रेग्नेंसी में क्रेविंग होना कोई परेशानी की बात नहीं होती है लेकिन इस दौरान आपको अपने खान-पान का भी बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है। संतुलित आहार लें। वसा, शुगर या केमिकल से युक्त चीजों का सेवन कम करें। इसकी वजह से वजन बढ़ने, जेस्टेशनल डायबिटीज या अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जो डिलीवरी के बाद तक आपको परेशान कर सकती हैं।
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