नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि फॉरेस्ट बाथिंग (Forest Bathing) किसे कहते हैं? दरअसल, फॉरेस्ट बाथिंग की शुरुआत साल 1980 में जापान में एक मनोवैज्ञानिक अभ्यास के रूप में हुई थी। वहां जापानी भाषा में इसे ‘शिनरिन-योकु’ कहा जाता है। फॉरेस्ट बाथिंग कोई एक्सरसाइज, जॉगिंग या हाईकिंग नहीं है। बल्कि, यह प्रकृति के साथ […]
नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि फॉरेस्ट बाथिंग (Forest Bathing) किसे कहते हैं? दरअसल, फॉरेस्ट बाथिंग की शुरुआत साल 1980 में जापान में एक मनोवैज्ञानिक अभ्यास के रूप में हुई थी। वहां जापानी भाषा में इसे ‘शिनरिन-योकु’ कहा जाता है। फॉरेस्ट बाथिंग कोई एक्सरसाइज, जॉगिंग या हाईकिंग नहीं है। बल्कि, यह प्रकृति के साथ सीधा संबंधित हैं।
दरअसल, फॉरेस्ट बाथिंग बॉडी को रिलेक्स करने या रिलेक्सेशन प्रदान करने का एक जापानी तरीका है, जिसे जापान में shinrin yoku कहते हैं। इस थेरेपी में लोगों को पेड़ों के बीच, किसी शांत स्थान पर गहरी सांस लेते हुए आस-पास की प्रकृति को देखना होता है। साथ ही इसमें लोगों को पेड़-पक्षियों की आवाज सुनने, पेड़ों को गले लगाने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। इस दौरान खुली हवा में सांस लेने, फूल-पत्तियां की महक लेने और हरियाली महसूस करने को ही फॉरेस्ट बाथिंग कहा जाता है। इस थैरेपी से व्यस्क और बच्चों को प्राकृतिक तरीके से बिना किसी दवाई के तनाव मुक्त करने में मदद मिलती है। फॉरेस्ट बाथिंग की जापानी प्रेक्टिस को, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा माना जाता है।
वहीं सन् 1982 में जापान के कृषि मंत्रालय को फॉरेस्ट बाथिंग (Forest Bathing) को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। इसी के बाद से दुनिया के कई अन्य प्रांतों में भी इसे लोकप्रियता मिली। जापान में फॉरेस्ट बाथिंग को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष टूर का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए खास तौर पर गाइड-थेरेपिस्ट भी होते हैं। ये लोगों को प्रकृति को महसूस करने के तरीके सिखाते हैं। जिसके बाद जंगल में टी-सेरेमनी के साथ इसकी समाप्ति होती है।
यही नहीं एक अध्ययन में भी ये सामने आया है कि, फॉरेस्ट बाथिंग (Forest Bathing) से तनाव कम होता है और जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। जानकारी के अनुसार, यह साबित हो चुका है कि यह स्ट्रेस हार्मोन को कम करने, खुश रहने की फीलिंग्स को बढ़ाने, क्रिएटिविटी बढ़ाने और हार्ट बीट व ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने का काम करता है। फॉरेस्ट बाथिंक के लिए, किसी खाली स्थान को चुनें और अपनी सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस फोन आदि से दूर रहें । इसके साथ ही प्रकृति के बीच पांचों सेंस का इस्तेमाल करें। ऐसा करने आपको काफी फायदा मिल सकता है।
अनार का हिन्दी नाम आपको पता है, असली नाम जानकर हो जाएंगे हैरान!