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ग्रिल किया हुआ मीट खाने से हो सकता है कैंसर, जानिए क्या है इसके पीछे सच

नई दिल्ली: ग्रिल किया हुआ मीट या बारबेक्यू का स्वाद दुनिया भर में पसंद किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्वादिष्ट भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है? कई अध्ययनों और वैज्ञानिक शोधों ने संकेत दिया है कि ग्रिल किया हुआ मीट खाने से कैंसर का खतरा […]

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  • August 5, 2024 2:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: ग्रिल किया हुआ मीट या बारबेक्यू का स्वाद दुनिया भर में पसंद किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्वादिष्ट भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है? कई अध्ययनों और वैज्ञानिक शोधों ने संकेत दिया है कि ग्रिल किया हुआ मीट खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। आइए जानते हैं इसके पीछे कितना सच है।

क्या है इसके पीछे वैज्ञानिक कारण

जब मीट को उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो उसमें दो प्रकार के कैंसरजन्य यौगिकों का निर्माण होता है: हेटेरोसाइक्लिक एमीन्स (HCAs) और पॉलिसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs)। HCAs तब बनते हैं जब मीट में मौजूद अमीनो एसिड और क्रिएटिन उच्च तापमान पर रिएक्ट करते हैं। वहीं, PAHs तब उत्पन्न होते हैं जब मीट की चर्बी जलकर धुएं के संपर्क में आती है और यह धुआं मीट पर जम जाता है। ग्रिल किया हुआ मीट स्वाद में जरूर अद्वितीय होता है, लेकिन इसके सेवन में सतर्कता बरतनी चाहिए। वैज्ञानिक स्रोत और चिकित्सा अनुसंधान बताते हैं कि इसका अधिक सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए, इसे संतुलित मात्रा में और सही विधियों से पकाकर खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

हो सकता है कैंसर का खतरा

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, HCA और PAH के उच्च स्तर का सेवन कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। विभिन्न प्रयोगशाला अध्ययनों में यह पाया गया है कि ये रसायन डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जो कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। विशेष रूप से, पेट का कैंसर, कोलन कैंसर, और पैंक्रियाटिक कैंसर के मामले अधिक देखे गए हैं। इसके अलावा रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट को कार्सिनोजेनिक (कैंसर उत्पन्न करने वाले पदार्थ) की श्रेणी में रखा है। 2015 में, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC), जो WHO का हिस्सा है, ने 800 से अधिक अध्ययनों की समीक्षा की और निष्कर्ष निकाला कि रेड मीट कोलन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

क्या है इसका उपाय

1. मीट को कम समय के लिए पकाएं: कम तापमान पर और कम समय के लिए पकाने से HCA और PAH का उत्पादन कम होता है।

2. मीट को पहले माइक्रोवेव में पकाएं: इससे मीट का अंदरूनी भाग पहले ही पक जाएगा और ग्रिलिंग के समय कम तापमान की आवश्यकता होगी।

3. मीट को बार-बार पलटें: इससे एक ही स्थान पर अधिक तापमान नहीं पहुंचेगा और रसायनों का उत्पादन कम होगा।

4. मीट को मैरीनेट करें: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मैरीनेटिंग मीट से HCA के उत्पादन में कमी हो सकती है।

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