Health Tips: हार्ट अटैक के बाद अक्सर एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाओं में स्टेंट का उपयोग किया जाता है। स्टेंट एक जालीदार कॉइल होता है जिसे धमनी में डालकर खोला जाता है ताकि धमनी फिर से सिकुड़ या बंद न हो।
स्टेंट को धमनी में डालने के बाद, उस पर ऊतक जमना शुरू हो जाता है और यह 3 से 12 महीनों में पूरी तरह भर जाता है। यह अवधि स्टेंट पर दवा की कोटिंग पर निर्भर करती है। दवा कोटिंग वाले स्टेंट को ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट कहा जाता है, जो स्टेंट के अंदर सेल्स को ज्यादा बढ़ने से रोकते हैं। बेयर मेटल स्टेंट में दवा कोटिंग नहीं होती, इसलिए उनमें संकीर्णता की दर अधिक हो सकती है।
स्टेंट लगाने के बाद प्लेटलेट्स की चिपचिपाहट को कम करने के लिए एंटीप्लेटलेट्स नामक दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं रक्त के थक्के बनने से रोकती हैं। आपकी स्वास्थ्य सेवा टीम आपको बताएगी कि कौन सी दवाएं लेनी हैं और कितने समय तक लेनी हैं।
एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग से जुड़े संभावित जोखिमों में शामिल हैं:
– कैथेटर डालने वाली जगह पर ब्लीडिंग (आमतौर पर कमर, कलाई या हाथ)
– ब्लड सर्कुलेशन में रक्त का थक्का या क्षति
– कैथेटर डालने वाली जगह पर संक्रमण
– दिल की बीमारी
– दिल का दौरा
– स्ट्रोक
– सीने में दर्द या बेचैनी
– कोरोनरी धमनी का फटना या पूरी तरह बंद हो जाना
– कंट्रास्ट डाई से एलर्जी की प्रतिक्रिया
– कंट्रास्ट डाई से किडनी को नुकसान
यदि स्टेंट लगाने के बाद भी आपको सीने में दर्द होता है, तो तुरंत अपनी स्वास्थ्य सेवा टीम से संपर्क करें।
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