नई दिल्ली: कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो हर साल लाखों लोगों की जान ले रही है। इसका कोई उम्र या सीमा नहीं है, यह किसी को भी हो सकता है। हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया है कि 2050 तक पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। यह बीमारी न केवल व्यक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डालती है।
वैश्विक स्तर पर जीवन प्रत्याशा बढ़ने के साथ ही, कैंसर का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। वृद्ध पुरुषों में प्रोस्टेट और फेफड़ों के कैंसर का जोखिम अधिक होता है। इन कैंसर प्रकारों को पुरुषों में सबसे आम माना जाता है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में धूम्रपान और शराब पीने की आदतें अधिक होती हैं, जिससे उनका कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, काम के दौरान पुरुषों का कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आना भी एक बड़ा कारण है।
यह रिसर्च 185 देशों और क्षेत्रों के आधार पर किया गया है, जिसमें 30 प्रकार के कैंसर और जनसांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण किया गया है। रिसर्च के अनुसार, 65 साल या उससे अधिक उम्र के पुरुषों में कैंसर से मरने की संभावना अधिक होती है। इसका कारण यह है कि वे चिकित्सा उपचार को कम सहन कर पाते हैं और अक्सर देर से निदान प्राप्त करते हैं। साथ ही, कुछ पुरुष स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भुगतान करने में असमर्थ होते हैं। रिसर्च में पाया गया कि 2022 से 2050 के बीच, कैंसर से मरने वाले वृद्ध पुरुषों की संख्या 3.4 मिलियन से बढ़कर 7.7 मिलियन हो जाएगी, जबकि नए मामलों की संख्या 6 मिलियन से बढ़कर 13.1 मिलियन हो जाएगी।
रिसर्च में विभिन्न देशों की आर्थिक स्थिति के अनुसार भी कैंसर के मामलों में अंतर पाया गया। अफ्रीका और पूर्वी भूमध्य सागर में कैंसर के मामलों और मौतों की संख्या में 2.5 गुना वृद्धि का अनुमान है, जबकि यूरोप में यह वृद्धि लगभग आधी रहने की संभावना है।
2022 से 2050 तक, 87% से अधिक की वृद्धि के साथ, दुनिया भर में कैंसर के मामलों और मौतों का मुख्य कारण फेफड़े का कैंसर हो सकता है। इसके बाद कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर आते हैं। 2050 तक प्रोस्टेट कैंसर और भी अधिक घातक होने की संभावना है। इसके साथ ही, त्वचा कैंसर के कारण भी और अधिक लोगों की जान जा सकती है। इस रिसर्च ने साफ कर दिया है कि कैंसर के मामले आने वाले समय में और बढ़ने वाले हैं, जिससे बचाव और इलाज के उपायों पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है।
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