Monsoon Disease: बारिश के मौसम आने से गर्मी से राहत मिलती है, लेकिन इस मौसम में कई तरह के इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. पानी जमा होने से जगह-जगह पर गंदगी फैलती है और इन गंदगी में बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है. इन बैक्टीरिया से कई तरह की बीमारियां जन्म लेती […]
Monsoon Disease: बारिश के मौसम आने से गर्मी से राहत मिलती है, लेकिन इस मौसम में कई तरह के इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. पानी जमा होने से जगह-जगह पर गंदगी फैलती है और इन गंदगी में बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है. इन बैक्टीरिया से कई तरह की बीमारियां जन्म लेती है, जो शरीर पर अटैक कर सकती हैं. इसलिए इन दिनों सावधान रहना चाहिए. आइए जानते है मानसून में किन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है.
बारिश के मौसम में सबसे आम बीमारी गैस्ट्रोएन्टेरिटिस है जो खराब खाने-पानी के कारण होती है. इसके लक्षणों में पेट में दर्द, दस्त, जी मिचलाना और उल्टी जैसी दिक्कतें शामिल हैं. इसमें अचानक दस्त शुरू होना, बुखार का आना, अक्सर पानी जैसा आना, आंत के संक्रमण का साफ संकेत है. अगर समय पर इसका इलाज नही किया जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
भारत में साल 2021 में डेंगू के 1 लाख से अधिक मामले सामने आए थे. भारत में बारिश के मौसम में डेंगू के मामले हमेशा बढ़ जाते है. डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और त्वचा पर चकत्ते पड़ना शामिल हैं. डेंगू गंभीर मामलों में डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) में बदल सकता है, इस बीमारी से ब्लाडिंग, अंग की कमजोरी और गंभीर मामलों में मरीज की मौत भी हो सकती है.
बारिश के मौसम में मलेरिया की बीमारी फैलती है. इसके लक्षणों में बार-बार तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, पसीना आना, जी मिचलाना और मांसपेशियों में दर्द होना शामिल हैं. अक्सर कंपकंपी के साथ ठंड लगना, मलेरिया संक्रमण का संकेत है. अगर मलेरिया का इलाज समय पर नहीं किया जाए तो यह गंभीर बीमारी जैसे एनीमिया, सांस लेने में तकलीफ, ऑर्गन फेल और गंभीर मामलों में सेरेब्रल मलेरिया का कारण बन सकता है, जिससे मरीज कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मौत भी हो सकती है.
बारिश में हैजा का भी खतरा बढ़ जाता है, जिससे अचानक से दस्त, उल्टी और गंभीर डिहाइड्रेशन हो जाता है. आंखें धंसी हुई, मुंह सूखना और पेशाब का कम आना ये हैजा का संकेत हैं. मुश्किलें तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जिससे शॉक, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में अगर इलाज नहीं किया जाए तो घंटों के भीतर मौत हो सकती है.
मानसून में इन बीमारीयों का भी खतरा
टाइफाइड
लेप्टोस्पायरोसिस
इन्फ्लूएंजा
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