Health News: गुजरात में इन दिनों चांदीपुरा वायरस का खौफ है। रविवार को सूरत में इसका पहला मामला सामने आया, जहां स्लम एरिया में रहने वाली 11 साल की बच्ची में यह वायरस पाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक इसके 27 संदिग्ध केस मिल चुके हैं और 15 मौतें भी हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा केस साबरकांठा और अरावली से हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चांदीपुरा वायरस का खतरा ज्यादातर गांवों में ही है, शहरी इलाकों में इसका खतरा कम है। आइए जानते हैं क्यों…
चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) एक RNA वायरस है, जो मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। एडीज मच्छर भी इसके लिए जिम्मेदार है। यह पहली बार 1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में पाया गया था और इसी के नाम पर इसका नाम पड़ा।
चांदीपुरा वायरस बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, खासकर 9 महीने से 14 साल के बच्चों को। यह संक्रमण मक्खी या मच्छर के काटने से फैलता है, जब वायरस उसकी लार के जरिए खून में पहुंचता है।
– तेज बुखार
– उल्टी-दस्त
– मांसपेशियों में खिंचाव
– कमजोरी और बेहोशी
चांदीपुरा वायरस रेत में पाई जाने वाली मक्खियों से फैलता है, जो ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में पाई जाती हैं। इसी कारण शहरों में इसका फैलाव कम होता है।
1. बच्चों को बाहर कम कपड़ों में न रहने दें।
2. मच्छरदानी लगाकर सुलाएं।
3. रेत वाली मक्खियों को घर में आने से रोकने के उपाय करें।
4. मच्छरों और मक्खियों को रोकने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
5. कोई लक्षण दिखे तो तुरंत पास के अस्पताल में जाएं।
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