Cerebral Palsy: बच्चों में होने वाली खतरनाक बीमारी “सेरेब्रल पाल्सी” क्या होती है? जानें लक्षण

नई दिल्ली: सेरेब्रल पाल्सी(Cerebral Palsy) बच्चों में होने वाली एक ऐसी लाइलाज बीमारी है, इसमें बच्चे के विकास पूरी तरह से रुक जाता है। इसकी वजह से कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। सेरेब्रल पाल्सी का तात्‍पर्य ऐसे लक्षणों के एक समूह से है जिसमें चलने में कठिनाई और मांसपेशियों की कठोरता […]

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Cerebral Palsy: बच्चों में होने वाली खतरनाक बीमारी “सेरेब्रल पाल्सी” क्या होती है? जानें लक्षण

Janhvi Srivastav

  • December 10, 2023 7:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: सेरेब्रल पाल्सी(Cerebral Palsy) बच्चों में होने वाली एक ऐसी लाइलाज बीमारी है, इसमें बच्चे के विकास पूरी तरह से रुक जाता है। इसकी वजह से कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। सेरेब्रल पाल्सी का तात्‍पर्य ऐसे लक्षणों के एक समूह से है जिसमें चलने में कठिनाई और मांसपेशियों की कठोरता (स्पास्टिसिटी) शामिल होती है।

कौन सी बीमारी है सेरेब्रल पाल्सी ?

सेरेब्रल(Cerebral Palsy) का मतलब दिमाग से जुड़ा और पाल्सी का अर्थ है मांसपेशियों का इस्तेमाल में परेशानी या कमजोरी महसूस होना है। सेरेब्रल पाल्सी कई तरह के डिसऑर्डर का एक ग्रुप है। इस बिमारी में दिमाग के विकास ना हो पाना की वजह से बच्चा चलने में अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल नहीं कर पाता है।

कितने तरह की होती है सेरेब्रल पाल्सी ?

– अनकंट्रोल एक्टिविटीज (डिसकिनेसिया)
– मांसपेशियों में अकड़न (स्पास्टिसिटी)
– तालमेल और संतुलन में कमी (एटेक्सिया)

सेरेब्रल पाल्सी की वजह

– समय से पहले जन्मे शिशुओं में भी संक्रमण की दर बढ़ जाती है
– जन्म के समय बच्चे का वजन(weight) कम होना
– प्रेगनेंसी के दौरान मां का ज्यादा सोचना
– प्रेगनेंसी के समय बच्चे के दिमाग का पूरी तरह से विकास ना हो पाना
– पीलिया और कर्निकटेरस जैसी समस्याएं

सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण

– चलने और पोस्चर में परेशानियां
– हल्के सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बहुत अलग तरह से चलता है
– इसके अलग-अलग लक्षण होते हैं
– सेरेब्रल पाल्सी से गंभीर तौर पर पीड़ित को चलने में दिक्कत होती है या वह बिल्कुल भी नहीं चल पाता है
– इसमें बच्चा बोल नहीं पता
– बच्चे का विकास नहीं हो पाता

सेरेब्रल पाल्सी का इलाज

सेरेब्रल पाल्सी का कोई इजाल नहीं है। डॉक्टर एक प्लान के आधार पर पीड़ित का इलाज करते हैं। जिसमें- ब्रेसेज़, फिज़िकल, ऑक्युपेशन, दवाईयों, सर्जरी और स्पीच थेरेपी से सुधार लाने की कोशिश की जाती है। इसका इलाज अगर जल्दी शुरू हो जाए तो कुछ हद तक परेशानियों से राहत मिल सकती है।

 

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