नई दिल्ली: गलसुआ (Mumps) एक वायरस से होता है। इस वायरस के कारण लार ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। बीते कई दिनों में मंप्स के मामले में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही हैं, ऐसे में मम्प्स के मामले माता-पिता को चिंतित कर रहे हैं। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित देश के कई हिस्सों में बच्चें लगातार इस संक्रमण का शिकार होते जा रहे हैं। यह एक तरीके का वायरस सक्रंमण होता हैं। यह सक्रंमण बुखार के साथ शुरु होने लगता हैं और फिर कान और गले के आसपास के दोनों क्षेत्रों में दर्दनाक सूजन की वजह बन जाता है। मम्प्स के बढ़ते मामलों से बच्चों को बचाना चाहिए।
मम्प्स के मामलों की वजह बताते हुए डॉक्टर सौरभ खन्ना ने बताया कि किसी भी इन्फेक्शन के बढ़ने के पीछे ब्रेकआउट एक बड़ी वजह होती है। ब्रेकआउट का मतलब जब कहीं भी किसी इन्फेक्शन की शुरुआत होती है। यह जब किसी एक बच्चे तक पहुंचा, जिसे मम्प्स का टीका नहीं लगा है तो वह आसानी से इसका शिकार हो जाता है। फिर इस तरह एक बार चेन टूटने पर इन्फेक्शन बढ़ने लगेगा। खासकर इस मौसम में इस तरह के इंन्फेक्शन काफी बढ़ते हैं।
इस संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण लगाना अनिवार्य है। बच्चे को अगर मम्प्स के दो टीके लग गए हैं तो इस संक्रमण के खिलाफ 88% बचाव मिल जाता है। भारत सरकार की तरफ से इसके तीन टीके लगाने की सलाह दी जाती है। एक नौ महीने में, एक 15 महीने में और एक 4-5 साल में इन टीको को लगाना चाहिए। इसके अलावा निम्न बातो को ध्यान में करना चाहिए।
1- घर के सभी हिस्सों को कीटाणु से बचाने के लिए सैनिटाइज करें।
2- मास्क पहनें और अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
3- अपने चेहरे, नाक और आंखों को बार-बार छुने से बचें।
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