नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बाद कई संक्रमणों का खतरा रोजाना बढ़ता जा रहा हैं। हर साल की तरह इस साल भी लाइम रोग का प्रकोप बढ़ने लगा है। दरअसल, लाइम रोग हरी घास और जंगल के पेड़ों में पाए जाने वाले कीट के काटने से होता है। इसकी शुरुआत आपको मच्छर के काटने से […]
नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बाद कई संक्रमणों का खतरा रोजाना बढ़ता जा रहा हैं। हर साल की तरह इस साल भी लाइम रोग का प्रकोप बढ़ने लगा है। दरअसल, लाइम रोग हरी घास और जंगल के पेड़ों में पाए जाने वाले कीट के काटने से होता है। इसकी शुरुआत आपको मच्छर के काटने से हो सकती है, लेकिन कुछ समय बाद यह गंभीर रूप ले लेता है। मामूली सी दिखने वाली यह बीमारी कब गंभीर गठिया का रूप ले लेती है, इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है।
जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक स्तर पर लाइम रोग का प्रकोप बढ़ गया है। आज के समय में यह एक चुनौती बनता जा रहा है। लाइम रोग बोरेलिया बर्गडॉरफेरी के कारण होने वाला एक जीवाणु संक्रमण है, जो संक्रमित टिक के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह मकड़ी जैसे दिखने वाले अरचिन्ड कीट के कारण होता है। इसके काटते ही शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, शरीर में तरल पदार्थ भर जाता है और सूजन आ जाती है। यह रक्त संचार को भी प्रभावित कर सकता है। लाइम रोग, जिसकी पहचान सबसे पहले 1975 में लाइम कनेक्टिकट में हुई थी, अब दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताए बढ़ रही हैं।
यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन में चिकित्सा के प्रमुख विशेषज्ञ प्रोफेसर जैक लैम्बर्ट के अनुसार, लाइम रोग एक बहुआयामी स्थिति है जो आमतौर पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम और मूत्राशय और आंतों जैसे अंगों को प्रभावित करती है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में लाइम और कीट-बोर्न रोग अनुसंधान केंद्र के निदेशक ब्रायन फॉलन ने पाया कि शुरुआती गलत निदान अक्सर होते थे, जिससे रोगियों के लक्षणों की वैधता पर संदेह होता था। लाइम रोग एसोसिएशन के अनुसार, यह बीमारी दुनिया के 80 प्रतिशत देशों में पहुँच चुकी है। हालाँकि यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, लेकिन इसमें सावधानी बरतने की विशेष आवश्यकता है। लाइम रोग के शुरुआती लक्षण यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शरीर में लाल चकत्ते, खुजली पैदा कर सकता है। इन सबके अलावा गठिया, संज्ञानात्मक समस्याएँ, पुरानी थकान भी हो सकती है। यहाँ तक कि नींद की समस्या भी हो सकती है। ये लम्बे समय तक इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
इस बीमारी के प्रथम चरण में थकान, बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में अकड़न और लिम्फ नोड्स में सूजन भी हो सकती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी हो सकती है। गर्दन में दर्द, शरीर के विभिन्न हिस्सों में चकत्ते हो सकते हैं। ऊतकों और जोड़ों में गड़बड़ी हो सकती है।
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