नई दिल्ली: आजकल बाजार में सनस्क्रीन पिल्स का चलन बढ़ता जा रहा है। कई लोग इन्हें त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने का आसान तरीका मानते हैं। लेकिन क्या ये पिल्स वाकई में सुरक्षित और प्रभावी हैं? आइए जानते हैं इस विषय पर विशेषज्ञों की राय और वैज्ञानिक तथ्यों को। हाल ही में सन्सक्रीन पिल्स का चलन बढ़ रहा है, जिनका दावा है कि वे त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने में मदद करती हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोध इस पर संदेह जता रहे हैं।
सन्सक्रीन पिल्स में कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स और कैरोटेनोइड्स होते हैं, जो त्वचा को कुछ हद तक UV किरणों से बचाने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन इन पिल्स का उपयोग केवल सप्लीमेंट के रूप में किया जाना चाहिए, न कि मुख्य सन्सक्रीन के रूप में। इसके अलावा, इनका प्रभाव सीमित होता है और ये किसी भी तरह से फिजिकल सन्सक्रीन, जैसे क्रीम या लोशन, का विकल्प नहीं हो सकतीं। हालांकि सनस्क्रीन पिल्स आकर्षक विकल्प लग सकती हैं, लेकिन इनके उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है। त्वचा की सुरक्षा के लिए परंपरागत तरीकों पर भरोसा करना अभी भी सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सन्सक्रीन पिल्स का अधिक उपयोग करने से त्वचा की सुरक्षा पर निर्भरता बढ़ सकती है, जिससे लोग अन्य आवश्यक सुरक्षा उपायों, जैसे कि टोपी पहनना, धूप से बचने वाले कपड़े पहनना, और फिजिकल सन्सक्रीन का उपयोग, की उपेक्षा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इन पिल्स में इस्तेमाल होने वाले कुछ तत्वों के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सन्सक्रीन पिल्स का उपयोग करने से पहले किसी डॉक्टर से परामर्श लें। यह भी सुनिश्चित करें कि आप अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए अन्य उपाय, जैसे कि उच्च SPF वाले सन्सक्रीन का उपयोग, उचित कपड़ों का चयन, और धूप से बचाव, का पालन कर रहे हैं। सनस्क्रीन पिल्स का प्रभाव अभी तक पूरी तरह से सिद्ध नहीं हुआ है। इनके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में भी पर्याप्त जानकारी नहीं है।”त्वचा रोग विशेषज्ञ का कहना है कि “सनस्क्रीन क्रीम या लोशन का उपयोग अभी भी सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। साथ ही, धूप में निकलते समय उचित कपड़े पहनना और छाता का उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।”
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