September 17, 2024
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टीनएजर्स में बढ़ रहा एनोरेक्सिया और बुलिमिया का खतरा, जानें कारण और बचाव के तरीके

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : August 12, 2024, 8:27 pm IST

नई दिल्ली: टीनएजर्स के बीच एनोरेक्सिया और बुलिमिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर ‘परफेक्ट’ दिखने का दबाव, बढ़ता तनाव, और आत्मसम्मान की कमी इन खतरनाक ईटिंग डिसऑर्डर्स को और भी गंभीर बना रही है। अगर समय पर इनका इलाज नहीं किया गया, तो ये समस्याएं न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती हैं।

एनोरेक्सिया क्या है?

एनोरेक्सिया एक ईटिंग डिसऑर्डर (खाने से जुड़ी समस्या) है, जिसमें व्यक्ति अपने वजन को लेकर इतना चिंतित हो जाता है कि वह खाना कम कर देता है। उसे हमेशा लगता है कि वह मोटा है, चाहे वह कितना भी पतला क्यों न हो। इस डर के चलते वह बहुत कम खाना शुरू कर देता है, जिससे उसका शरीर धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है और वह कुपोषण का शिकार हो जाता है।

बुलिमिया क्या है?

बुलिमिया भी एक ईटिंग डिसऑर्डर है, लेकिन इसमें व्यक्ति पहले बहुत सारा खाना खा लेता है, जिसे बिंज ईटिंग कहा जाता है, और फिर वजन बढ़ने के डर से उल्टी करता है या बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करता है। बुलिमिया से पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर की छवि को लेकर अत्यधिक चिंतित होता है और वजन कम करने के लिए अस्वस्थ तरीकों का सहारा लेता है।

टीनएजर्स में क्यों बढ़ रहा है खतरा?

1. सोशल मीडिया का प्रभाव

आजकल के टीनएजर्स सोशल मीडिया पर बहुत समय बिताते हैं, जहां उन्हें अक्सर ‘परफेक्ट’ बॉडी की तस्वीरें दिखाई देती हैं। इस आदर्श छवि को पाने के प्रयास में वे खुद को भूखा रखने या अन्य अस्वस्थ तरीकों को अपनाने लगते हैं, जिससे एनोरेक्सिया और बुलिमिया का खतरा बढ़ जाता है।

2. दबाव और तनाव

टीनएजर्स पर पढ़ाई, करियर और दोस्तों के बीच फिट होने का दबाव होता है। इस तनाव की वजह से वे अपने खाने की आदतों को नियंत्रित करने लगते हैं, जो आगे चलकर इन ईटिंग डिसऑर्डर्स का रूप ले सकता है।

3. आत्मसम्मान की कमी

जिन टीनएजर्स का आत्मसम्मान कम होता है, वे खुद को दूसरों से कमतर महसूस करने लगते हैं। खुद को बेहतर दिखाने के लिए वे वजन कम करने पर अधिक जोर देते हैं, जिससे एनोरेक्सिया और बुलिमिया का खतरा बढ़ जाता है।

कैसे करें बचाव?

1. परिवार का समर्थन

परिवार के सदस्यों को टीनएजर्स के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए और उन्हें भावनात्मक समर्थन देना चाहिए, ताकि वे अपनी समस्याओं को शेयर कर सकें।

2. हेल्दी आदतें

टीनएजर्स को सही तरीके से खाना खाने और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की आदत डालनी चाहिए। इससे वे अपने शरीर के बारे में सकारात्मक सोच बना सकते हैं।

3. मदद लें

अगर किसी टीनएजर में एनोरेक्सिया या बुलिमिया के लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। समय पर सही जानकारी और सहायता से इन खतरनाक ईटिंग डिसऑर्डर्स से बचा जा सकता है।

एनोरेक्सिया और बुलिमिया जैसे ईटिंग डिसऑर्डर्स टीनएजर्स के लिए बहुत खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि समय रहते इन पर ध्यान दिया जाए और टीनएजर्स को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का मौका दिया जाए।

 

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