अमेरिकी लैब ने बनाया करना का सबसे घातक रूप! हुआ हंगामा

नई दिल्ली: भले ही कोरोना का प्रकोप इस समय थोड़ा कम हो गया हो लेकिन इसके नए-नए वैरिएंट दुनिया को सतर्क करते रहते हैं. इसी बीच जहां एक ओर पूरी दुनिया ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव कर रही है. तो दूसरी ओर अमेरिका में कोविड 19 एक नया और खतरनाक वैरिएंट विकसित कर लिया गया है. […]

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अमेरिकी लैब ने बनाया करना का सबसे घातक रूप! हुआ हंगामा

Riya Kumari

  • October 20, 2022 9:08 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: भले ही कोरोना का प्रकोप इस समय थोड़ा कम हो गया हो लेकिन इसके नए-नए वैरिएंट दुनिया को सतर्क करते रहते हैं. इसी बीच जहां एक ओर पूरी दुनिया ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव कर रही है. तो दूसरी ओर अमेरिका में कोविड 19 एक नया और खतरनाक वैरिएंट विकसित कर लिया गया है. ये कोरोना का अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है.

नए शोध में बढ़ा खतरा

दरसल अमेरिका बॉस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने कोविड 19 का एक ऐसा रूप विकसित कर लिया है जो गंभीर बीमारी को पैदा करता है. साथ ही इस वैरिएंट की मृत्यु दर 80 प्रतिशत है. हालांकि, वैज्ञानिकों की मानें तो वर्तमान समय में दुनिया में जो ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट फैल रहा है, वो इंसानों के लिए कम घातक है. एक बार फिर इस रिसर्च ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों के आगे सवाल खड़े कर दिए हैं. जहां वैज्ञानिकों ने अमेरिका की इसी लैब को आग से ना खेलने के लिए भी कहा है.

पांच गुना खतरनाक

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस रिसर्च के लिए उन्होंने ओमिक्रॉन वैरिएंट से स्पाइक प्रोटीन निकाला और उसे चीन के वुहान में पहली बार मिले कोविड -19 के स्ट्रेन (कोरोना का रूप) से मिलाया. ये रिसर्च अभी चूहों पर किया गया है. शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में चूहों में ओमिक्रॉन की वजह से हल्के लक्षण पाए जाने की बात कही है. हालांकि इसमें ओमिक्रॉन S वायरस की मृत्युदर 80 फीसदी होने और इसकी गंभीर स्थितियों के बारे में बताया गया है. जहां रिसर्च में शामिल 80 फ़ीसदी चूहों की मौत हो गई.

 

रिसर्च पर शुरू हुआ हंगामा

प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर शमूएल शापिरा ने एक समाचार पत्र से ख़ास बातचीत में बताया, ” कोरोना वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में बनाया गया था. अब ये क्या है. इस तरह की रिसर्च पूरी तरह से प्रतिबंधित होनी चाहिए. ये आग से खेलने जैसा है.” इससे ये बात तो साफ़ है कि वैज्ञानिक इस रिसर्च को लेकर आपत्ति जता रहे हैं. दूसरी ओर नामी पत्रकारों ने भी इस रिसर्च को लेकर सवाल किए हैं. अपनी एक रिपोर्ट में एजरा लेवेंट कहती हैं कि कानून मानने वाले लोग राइफल नहीं रख सकते हैं. ये बहुत खतरनाक है.

 

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