Haryana Assembly Election

मिट्टी में मिलेगा हुड्डा का अरमान या निर्दलीय बिगाड़ेंगे CM सैनी का गेम? ये सीट करेंगे कुर्सी का फैसला

चंडीगढ़। हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। अभी तक के आंकड़ों में कांग्रेस मजबूत स्थिति में दिख रही है। हालांकि कांग्रेस की राह इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि इनेलो, जेजेपी, AAP और बागी-निर्दलीय उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। निर्दलीय हमेशा से हरियाणा में किंग मेकर के रोल में रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।

निर्दलीय रहे हैं किंगमेकर

हरियाणा में एक ऐसा भी समय था जब 16 विधायक निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दूसरे कार्यकाल( 2009) में सात निर्दलीय चुनाव जीते थे। जिसके दम पर उन्होंने राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाई। 1982 में 16 विधायकों के सहारे भजनलाल सीएम बने थे। 2019 में निर्दलीय के बूते ही बीजेपी ने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इस बार के विधानसभा चुनाव में 1031 कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में हैं। इसमें से 462 प्रत्याशी निर्दलीय हैं। कई ऐसे भी हैं जो जीतकर विधानसभा पहुंच सकते हैं।

रानियां सीट पर घमासान

रानियां सीट से देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह मैदान में हैं। पिछली बार रणजीत सिंह चौटाला ने गोपाला कांडा के भाई गोविंद कांडा को हराया था। इधर इनेलो ने अभय चौटाला के बड़े बेटे अर्जुन चौटाला को टिकट दिया है।

हिसार में निर्दलीय के फेर में कांग्रेस-बीजेपी

वहीं हिसार सीट सबसे हॉट मानी जा रही है। यहां से देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल निर्दलीय मैदान में है। उनके बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं। बीजेपी ने हिसार से आरएसएस के करीबी माने जाने वाले कमल गुप्ता को टिकट दिया है। कांग्रेस से कुमारी सैलजा के नजदीकी रामनिवास राड़ा अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

निर्दलीय फंसा सकते हैं सीट

हरियाणा की नलवा और हांसी सीट पर कांग्रेस के बागी उनका गेम बिगाड़ सकते हैं। पूर्व मंत्री संपत सिंह नलवा से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। जींद में भी कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। जींद सेगमेंट से प्रदीप गिल बागी बनकर मैदान में हैं।

अंबाला कैंट से विज का खेल बिगाड़ेंगी चित्रा

अंबाला कैंट से हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री मैदान में हैं। इस वजह से यह हॉट सीट बन चुकी है। इस सीट से 6 बार विधायक रहे अनिल विज के सामने कांग्रेस ने परविंदर सिंह परी को उतारा है। इधर कांग्रेस की चित्रा सरवारा निर्दलीय मैदान में हैं। कांग्रेस ने उन्हें अब पार्टी से निकाल दिया है।

लाडवा में गर्ग काटेंगे सीएम सैनी का वोट?

सीएम सैनी की सीट होने से लाडवा हॉट बन गई है। कांग्रेस ने यहां से मेवा सिंह अपना उम्मीदवार बनाया है। इधर भाजपा से बागी हुए संदीप गर्ग सीएम सैनी के सामने मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव से पहले गर्ग भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

गुरग्राम में अपने ही बागी से डरी बीजेपी

हरियाणा की आर्थिक राजधानी गुरुग्राम से भाजपा में रहे नवीन गोयल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। बीजेपी ने यहां से पहलवान मुकेश शर्मा अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं कांग्रेस की तरफ से मोहित ग्रोवर मैदान में हैं।

गन्नौर में बीजेपी को हो सकता नुकसान

गन्नौर विधानसभा सीट से बीजेपी के बागी देवेंद्र कादियान चुनाव लड़ रहे हैं जो भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र कौशिक को नुक़सान पहुंचा रहे हैं।

सोनीपत और सोहना में भी बिगड़ेगा खेल?

बल्लभगढ़ से दो बार विधायक रह चुकीं शारदा राठौर को कांग्रेस ने इस बार टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। सोहना से कल्याण चौहान निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, उनके पक्ष में राजपूत वोटर जा सकते हैं। सोनीपत में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन निर्दलीय मैदान में हैं।

पुनहाना सीट फिर जीत पाएंगे रईस खान?

वर्तमान में पुनहाना से कांग्रेस के चौधरी मुहम्मद इलयास विधायक हैं। उन्होंने अपने पिछले चुनाव में निर्दलीय रईस खान को हराया था। इसे पहले 2014 के चुनाव में रईस खान ने मोहम्मद इलियास को मात दी थी। बीजेपी यहां से एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। इस बार भाजपा ने यहां से एजाज खान को उतारा है। एजाज के पिता सरदार खान हरियाणा के गृह मंत्री रह चुके थे। इलयास और एजाज दोनों चचेरे भाई हैं।

असंध में बसपा करेगी खेल

असंध में अभी तक कांग्रेस मजबूत स्थिति में दिख रही। हालांकि बीएसपी-इनेलो उम्मीदवार गोपाल राणा के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। बीजेपी ने योगिंद्र राणा को टिकट दिया है। कांग्रेस से मौजूदा विधायक शमशेर गोगी मैदान में है। 2019 में बसपा उम्मीदवार गोपाल राणा के पिता नरेंद्र राणा कांग्रेस नेता से महज 1703 वोटों से चुनाव हार गए थे।

समालखा में निर्दलीय प्रत्याशी का जोर

समालखा सीट पर आज तक भाजपा कभी नहीं जीती है। इस बार भाजपा ने पूर्व सांसद करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को मैदान में उतारा है। मनमोहन भड़ाना से बीजेपी को बहुत उम्मीदे है। वहीं इस सीट से कांग्रेस 5 बार चुनाव जीत चुकी है। निर्दलीय के खाते में भी यह सीट जा चुकी है। कांग्रेस ने धर्म सिंह छोक्कर को अपना प्रत्याशी बनाया है। पूर्व विधायक रविंद्र मछरौली यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों का गेम बिगाड़ सकते हैं।

 

 

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Pooja Thakur

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