चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में मंगलवार-8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आए. पिछले 10 सालों से राज्य की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जनता ने फिर से 5 साल सरकार चलाने का मौका दिया है. चुनावी नतीजों में बीजेपी को 48, कांग्रेस को 37, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को दो सीटें मिली […]
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में मंगलवार-8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आए. पिछले 10 सालों से राज्य की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जनता ने फिर से 5 साल सरकार चलाने का मौका दिया है. चुनावी नतीजों में बीजेपी को 48, कांग्रेस को 37, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को दो सीटें मिली हैं. 3 सीटों पर निर्दलीयों को जीत मिली है.
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार ने पूरे देश को चकित कर दिया है. नतीजों से पहले आने वाले एग्जिट पोल्स में जहां कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत मिलता हुआ दिखाई दे रहा था, वहीं चुनाव परिणाम वाले दिन बीजेपी ने बाजी मार ली. कांग्रेस की इस आश्चर्यजनक हार ने राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा चुनाव परिणाम क्यों आया?
सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस की हार की वजह उसके ही कई नेता हैं. दरअसल, टिकट वितरण के दौरान बागी हुए कई नेताओं ने चुनावी मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी. बताया जा रहा है कि इन नेताओं ने कई सीटों पर कांग्रेस को मिलने वाले वोटों में बंटवारा कर दिया. जिसकी वजह से पार्टी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. चर्चा यह भी है कि कांग्रेस आलाकमान यानी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के भरोसेमंद रहे कई नेताओं ने भी भीतरघात किया है. हालांकि यह सिर्फ सियासी गलियारों की चर्चाएं भर हैं.
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