चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में मंगलवार-8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम आया. इन नतीजों ने पूरे देश को हैरान कर दिया. जहां सभी न्यूज चैनल और राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की बड़ी जीत का दावा कर रहे थे, वहीं चुनावी नतीजों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया. करीब 10 साल के लंबे इंतजार के बाद […]
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में मंगलवार-8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम आया. इन नतीजों ने पूरे देश को हैरान कर दिया. जहां सभी न्यूज चैनल और राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की बड़ी जीत का दावा कर रहे थे, वहीं चुनावी नतीजों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया. करीब 10 साल के लंबे इंतजार के बाद हरियाणा की सत्ता में आने का सपना संजोए बैठी कांग्रेस को अब 5 साल का और इंतजार करना पड़ेगा.
हरियाणा में कांग्रेस की हार को लेकर अब तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. लेकिन इन चर्चाओं में एक बड़ी वजह का बार-बार जिक्र किया जा रहा है. यह वजह है गुटबाजी. बताया जा रहा है कि गुटबाजी की वजह से कांग्रेस को चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है. कांग्रेस आलाकमान राज्य में पार्टी को एकजुट नहीं कर पाया. बीच चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा गुट के बीच साफ टकराव देखा गया.
सियासी गलियारों की मानें तो हुड्डा गुट को फ्री हैंड दिए जाने से कांग्रेस को चुनाव में काफी नुकसान हुआ है. हुड्डा गुट के हावी होने की वजह से नॉन जाट वोट बीजेपी के पक्ष में एकजुट हो गया और पूरा चुनाव जाट वर्सेज नॉन जाट में तब्दील हो गया. कुमारी शैलजा को किनारे किए जाने का भी कांग्रेस को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. बताया जा रहा है कि जो दलित वोट शैलजा की वजह से कांग्रेस को मिलने वाला था, वह नहीं मिल पाया.
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