चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है. जहां एक ओर सत्ताधारी दल भाजपा लगातर तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में है. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सत्ता में आने की जुगत कर रही है. कांग्रेस […]
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है. जहां एक ओर सत्ताधारी दल भाजपा लगातर तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में है. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सत्ता में आने की जुगत कर रही है.
हरियाणा में कांग्रेस के अंदर जिस एक मुद्दे को लेकर गुटबाजी और टकराव देखने को मिल रहा है वह है मुख्यमंत्री के चेहरे का मुद्दा. दरअसल, हरियाणा कांग्रेस की दिग्गज दलित नेता कुमारी शैलजा चाहती है कि पार्टी उन्हें सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करे. भूपेंद्र हुड्डा को पहले भी दो बार सीएम की कुर्सी मिल चुकी है. ऐसे में अब उन्हें मौका मिलना चाहिए. लेकिन वहीं हुड्डा गुट इसे मानने को तैयार नहीं है. 77 साल के हो चले भूपेंद्र हुड्डा खुद को मुख्यमंत्री की रेस से हटाने को तैयार नहीं है.
हुड्डा गुट लगातार राज्य कांग्रेस के भीतर हावी होने की कोशिश कर रहा है. सियासी चर्चाओं की मानें तो टिकट वितरण में भी ज्यादा भूपेंद्र हुड्डा की ही चली है. जिसे देखते हुए अब कुमारी शैलजा वोटिंग से ठीक पहले अपने घर पर बैठ गई हैं. वह चुनाव प्रचार में पूरी तरह से नदारद दिख रही हैं. मालूम हो कि राज्य की 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. इन सभी सीटों पर शैलजा का अच्छा-खासा प्रभाव है. ऐसे में अगर शैलजा चुनावी प्रचार से दूर रहीं तो कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
बताया जा रहा है कि बीजेपी अब कांग्रेस की इस गुटबाजी का फायदा उठाने में लगी हुई है. भाजपा नेताओं ने कुमारी शैलजा पर डोरे डालना शुरु कर दिया. सियासी गलियारों की मानें तो चुनाव के बाद बीजेपी के समर्थन में महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे जैसा नेता एक और नेता हरियाणा में भी आ सकता है.
हरियाणा चुनाव: कांग्रेस vs बीजेपी… किसके घोषणा पत्र में कितना दम?