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गुरु मंत्र: कुंडली में राहु-केतु की यह चाल बर्बाद कर देती है जिंदगी, जानें बचने के अचूक उपाय

इंडिया न्यूज के खास प्रोग्राम में एस्ट्रो साइंटिस्ट विशिष्ठजी बात कर रहे हैं कुंडली में केतु व राहु की दशा और प्रभाव के बार में. राहु और केतु कैसे हमारी जीवन पर प्रभाव डालता है. केतु के नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव के बारे में भी जानें...

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This move of Rahu-Ketu ipresent in your horoscope will ruin you life, Learn the Best Way for survival
  • August 31, 2018 1:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. अक्सर लोग राहु या केतु से डरे रहते हैं. केतु को सभी ग्रहों में सबसे पीड़ादायक ग्रह माना जाता है. मायावी होने की वजह से केतु में लगभग सभी ग्रहों की झलक देखने को मिल जाती है. सूर्य के समान जलाने वाला, चंद्र के समान चंचल, मंगल के समान पीड़ाकारी, बुध के समान दूसरे ग्रहों से सीघ्र प्रभावित होने वाला, गुरु के समान ज्ञानी, शुक्र के समान चमकने वाला और शनि के समान एकांतवासी ग्रह है केतु. इन दोनों ग्रहों को पापी ग्रह के नाम से जाना जाता है. इन दोनों ग्रहों की खराब चाल व गलत दिशा इंसान को बर्बाद कर देती है.

राहु-केतु दोनों ग्रह एक दूसरे के पूरक होते हैं. कहा जाता है कि अगर केतु इंसान को सोचने पर मजबूर करता है तो राहु उस सोच को लागू करवाता है. इंसान की गलत सोच व बुद्धि भ्रष्ट होने के पीछे भी इन दोनों ग्रहों का हाथ होता है.केतु और राहु का हमारी कुंडली से गहरा संबंध होता है. किसी इंसान की तरक्की के पीछे इन दोनों ग्रहों का हाथ होता है.

केतु जिनकी कुंडली में सही दिशा में होता है तो ये इंसान को व्यापार में मुनाफा दिलवाया है. वहीं इसका बुरा प्रभाव ये होता है कि केतु इंसान को चिड़चिड़ा व निकम्मा बना देता है. केतु अगर सूर्य के साथ मिले तो ये शुभ और ये अगर मंगल से मिल जाए तो पीड़ादायक बन जाता है. जन्मकुंडली में मंगल व केतु का मिलन इंसान को सेहत व शारीरिक रूप से पीड़ा पहुंचाता है. वहीं केतु अगर बुध के साथ मिल जाए तो ये व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट खराब कर देता है. 

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