नई दिल्ली. हम बचपन से ही देवता और राक्षक की कहानियां सुनते आए हैं. देवता वो जो दूसरों का काम करे, दूसरों की मदद करे, देवता वो जो पूजनीय हैं और राक्षस वो जिससे हम भयभीत होते हैं. लेकिन क्या ये राक्षस और देवता हमारे अंदर ही हैं या ये सिर्फ हमारे अंदर का वहम है. आज शो में इसी विषय पर बात की जाएगी. इस धरती पर जो सबसे पुराने साइंटिस्ट रहे हैं या फिर ऋषि मुनी और भगवान रहे हैं. जिन्होंने इतना कुछ सोच समझ कर इतने सारे ग्रंथ लिखे हैं और कहानियां बनाई हैं वो सभी सच होते हैं.
हर वो इंसान जो अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे तरीके से करता है, जो अपने पड़ोसी का सुख-दुख में साथ देता है. जो अपनी रिश्तेदारी को अच्छे तरीके से निभाता है और जो इंसान अपने कर्म से कईयों को काम देने का काम करता है, इस तरह का हर इंसान देवता की श्रेणी में आता है. जो इंसान अपनी जरूरत को समझते हुए सिर्फ दूसरे से छीनना जानते हैं. इतना ही नहीं अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरों को और उनके परिवार को क्षति पहुंचाता है वो हर इंसान राक्षक की कैटेगरी में आता है. इस विषय पर और भी जानकारी दे रहे हैं एस्ट्रो साइंटिस्ट जीडी वशिष्ट जी इंडिया न्यूज के खास कार्यक्रम गुरु मंत्र में…
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