नई दिल्ली. गीता में लिखा हुआ है कि कर्म ही सबसे श्रेष्ठ है कर्म करते जाओ और फल की इच्छा न करो. हर धर्मग्रंथ में इसकी व्याख्या की गई है कि कर्म ही पूजा है, लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि कर्म तो भाग्य रेखा में लिखा होता है. आज शो में इसी बात पर चर्चा की जाएगी कि अगर सब हमारे भाग्य में लिखा गया तो क्या कर्म करने का कोई फायदा है. क्या वाकई में कर्म कोई पूजा है और इसके पीछे क्या राज है. इसके साथ आज के दिन हाल जानते हुए आज सभी राशियों के बारे में भी बात की जाएगी.
कर्म और भाग्य एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं. अगर एक इंसान को हम गाड़ी मान लें तो उसे चलाने वाले दो ङी पहिए होते हैं. कर्म और भाग्य. जब भी दुख में किसी की वजह से कोई काम पूरा हो जाता है तो उसे कहा जाता है कि ये हमारी जिंदगी में भगवान बनकर आया है. पऱमात्मा धरती पर प्रत्यक्ष रूम से सामने आकर किसी को वरदान नहीं देते हैं. ऐसे में वो जिनको भेजते हैं वहीं भगवान होते हैं. या यूं कहें कि जो लोग हमे सही रास्ता दिखाते, बताते हैं या फिर सहायता करते हैं उनसे बड़ा भगवान इस धरती पर कोई नहीं है.
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