नई दिल्ली: रत्न ज्योतिष के अनुसार रत्न सिर्फ कुंडली के ग्रह दोषों को दूर करने के काम नहीं आते हैं, बल्कि इन्हें पहनने से कई तरह के रोगों से भी लड़न की शक्ति मिलती है. दरअसल, आयुर्वेद में रत्नों की भस्म द्वारा रोग निवारण के अनेक प्रयोग बताए गए हैं. इसका वैज्ञानिक कारण रत्न में उपस्थित विशेष रासायनिक तत्व हैं.
इन रत्नों को पहना जाता है तो शरीर पर इनका स्पर्श होता है और लगातार इनमें मौजूद रासायनिक तत्वों के संपर्क में रहता है. दिल की बीमारी या हृदय के रोग गत सौ वर्ष पूर्व घातक रोगों की सूची में छठे क्रम पर था, लेकिन अब यह एक नंबर पर आ गया है.
इसकी वजह यह है कि आजकल की मशीनी रफ्तार वाली जिंदगी में बढ़ रहे मानसिक तनाव, दूषित वातावरण तथा चका चौंध भरे कृत्रिम जीवन में गलत रहन-सहन, बेमेल खान-पान और बुरे व्यसनों के कारण दिल की बीमारीयों ने बहुत भयानक रूप धारण कर लिया है. दिल की बीमारी होने के महत्तवपूर्ण कारक होते है – शारीरिक , अनुवांशिक , और मानसिक ,हम इन तीनो पर रोशनी डालने का प्रयास करेंगे .
लग्न, मनुष्य का आईना होता है. इसमें जातक के शरीर, स्वभाव, रूप, गुण आदि का विचार किया जाता है। शास्त्रों में इसके आधार पर रोगों का विचार भी किया जाता है. लग्न के अनुसार शरीर को लग रहे रोगों के बारे में हम जान सकते हैं.
रोग होने से पहले हम सावधानियां रख सकते हैं. हम रत्न धारण द्वारा भी अनेक रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. विभिन्न लग्नों के संदर्भ में किस लग्र वाले को कौन-सा रोग होने की संभावना हो सकती है और उन्हें कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए, इसका विवरण नीचे दिया जा रहा है.