नई दिल्ली : जन्मकुंडली के अंदर दूसरा और चौथा घर बुढ़ापे के ग्रहों के घर होते हैं और इन घरों के अंदर अगर किसी भी तरह से बुरे ग्रह जो आपस में दुश्मन ग्रह हैं या पापी ग्रहों के साथ मिलकर के शुभ ग्रह बैठे हुए हों तो इंसान का बुढ़ापा बहुत खराब होता है.
ऐसे में जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती चली जाती है वैसे वैसे उसकी कार्यक्षमता तो कमजोर होती ही है अपने ही घर के अंदर अपना बस नहीं चलता है. ऐसी अवस्था में सुख समृद्धि भी जाने लगती है और कलेश पैदा हो जाता है. एक-दूसरे की सुनने में भी तकलीफ होने लगती है.
ये सारी समस्याएं बुढ़ापे के अंदर तब ही आती हैं जब जन्मकुंडली का दूसरा या चौथा घर बाधित हो. ये जानना बहुत जरूरी है कि किसे बुढ़ापे में परिवार का साथ मिलता है और किन लोगों का बुढ़ापा अकेला बीतता है.
बुढ़ापे को आरामदायक बनाने के जरूरी उपाय बताएंगे एस्ट्रो साइंटिस्ट जीडी वशिष्ठ इंडिया न्यूज के खास प्रोग्राम गुरु मंत्र में.