नई दिल्ली। भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन आर्मी में से एक है। इंडियन आर्मी कई रेजीमेंट्स और टुकड़ियों में बंटी हुई है लेकिन सबसे खूंखार मानी जाती है गोरखा रेजीमेंट्स। फील्ड मार्शल सैम मॉनेक शॉ ने कहा था अगर कोई इंसान कहता है कि वह मौत से नहीं डरता तो फिर वह झूठ बोल रहा है या गोरखा है। बीते 2 सालों से इंडियन आर्मी में गोरखा रेजीमेंट्स की भर्ती नहीं हुई है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के नेपाल दौरे से गोरखा का मुद्दा चर्चा में आ गया है तो ऐसे में आइए जानते हैं इस रेजीमेंट्स के बारे में…
इंडियन आर्मी में गोरखा के 7 रेजिमेंट हैं, इसमें 39 बटालियन काम करती हैं। इसमें से भी 60 फीसदी हिस्सेदारी नेपाली गोरखा की है जबकि बाकी भारतीयों की। जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना में 35 हजार से अधिक नेपाली गोरखा तैनात हैं। इस विश्व की सबसे खूंखार फौजों में शुमार है। सबसे विध्वंसक व आक्रामक माने जाने वाली गोरखा को मौत का दूसरा नाम कहा जाता है।
बेहतरीन युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध गोरखा रेजीमेंट्स की स्थापना 24 अप्रैल 1815 में हिमाचल प्रदेश के सुबाथू में हुआ था। पहले यह भारतीय ब्रिटिश सेना का हिस्सा थी लेकिन आजादी के बाद इसे भारतीय सेना को सौंप दिया गया। 1950 में जब भारत एक गणराज्य बना तो इसका नाम गोरखा राइफल्स रखा गया। वर्तमान में भारतीय सेना की यह एक ऐसी बटालियन है, जिसके सामने आने से दुश्मन कांपते हैं।
गोरखा बटालियन इतनी खतरनाक है कि दुश्मनों का बेरहमी से कत्ल कर देती है। ये दुश्मनों पर काल बनकर टूट पड़ते हैं। गोरखा की पहचान खुखरी है। युद्ध के दौरान ये खुखरी से दुश्मनों का गला काट देते हैं। कहा जाता है कि इनकी खुखरी खून की प्यासी रहती है। हमला करते वक्त इनकी जुबान पर जय महाकाली, आयो गोरखाली का नारा रहता है।
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