आम तौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है
परिवार का ही कोई भी हो, अगर वह सामाजिक लिहाज नहीं रखता, तो ऐसे व्यक्ति से मिलने में भय लगता है. जीवन में ऐसा भी होता है कि किसी काम को हम शुरू करते हैं बड़े उत्साह से, पूर्ण सफलता की कामना के साथ, पर पर बीच में बुझ से जाते हैं.
भगवान श्री राम का वंश लव और कुश की कहानी अपने आप में अद्भूत है. भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर. कुश को कुशावती का राज्य दिया था. शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का दक्षिण भारत में.
हाथ में रेखाएं, क्रास और अन्य चिह्न व्यक्ति के भाग्य और सफलता के बारे में बहुत कुछ बताती हैं. रेखाओं के उदय से बताया जा सकता है कि व्यक्ति की उन्नति और भाग्य कैसा होगा
नई दिल्ली. जब भी भगवान शिव के मंदिर में जाते हैं तो सबसे पहले नंदी को प्रणाम करते हैं. नंदी एक बैल है जो कि शिव का सवारी भी है. आपने भगवान शंकर की चरणों में बैठे हमेशा देखा होगा, लेकिन उसके बारें में पूरी जानकारी कुछ ही लोगों के पास होगी.
शनिवार शनिदेव का प्रिय दिन है. आज के दिन शनिदेव को प्रसन्न करके आप अपनी बंद किस्मत का ताला खोल सकते हैं और जीवन में पनप रही सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं? ज्योतिष के अनुसार शनि चलते तो मंद गति से हैं परंतु ये मंद गति राजा को रंक बना देती है तथा रंक को राजा बना देती है तथा खोल देती है बंद किस्मत का ताला.
शक्तिशाली शाबर मंत्र पहले से ही शक्तियों से परिपूर्ण और सिद्ध होते हैं. इन मंत्रों के केवल उच्चारण मात्र से व्यक्ति के सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं.
मनुष्य के जीवन में कई रिश्ते बनते और कई बिगड़ते भी हैं. ये रिश्ते भाई-बहन, दोस्त-यार, पति-पत्नी, माता-पिता, सहपाठी आदि कई प्रकार के होते हैं. इन तमाम रिश्तों में ऊंच-नीच भी होते ही रहता है. ऐसे समय में कई रिश्ते टूट जाते हैं, कई टूटते-टूटते रह जाते हैं और कई पहले से मजबूत हो जाते हैं.
बढ़ती उम्र के साथ दिमाग का कमजोर होना आम बात है, लेकिन आजकल कम उम्र में ही ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही है, जो एक चिंता की बात है. दिमाग के कमजोर हो जाने से ना हम किसी चीज या विषय पर अपना ध्यान लगा पाते हैं और ना ही समय रहते अपनी बात रख पाते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे हाथ की रेखाओं में हमारे जीवन के भावी संकेत मिलते हैं. वैसे तो कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के हाथ में लकीरों का जाल बुन जाता है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक रेखाओं के रूप में विद्यमान रहता है.