कई बार ऐसा होता है कि आप जी-जान से अपना काम करते हैं. पूरी मेहनत के साथ अपने काम को अंजाम तक पहुंचाते हैं. अपने काम में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद आपकी तरक्की नहीं हो रही है, तो आज के बाद ऐसा नहीं होगा.
बचपन से ही हम और आप सापों की पूजा देखते आ रहे हैं. खासकर सावन की नागपंचमी के दिन तो लगभग सभी इलाकों में नाग की पूजा आपको आसानी से देखने को मिल जाएगी. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर इन सांपों का रहस्य क्या है? सापों का आपके सौभाग्य से क्या संबंध है? नागपंचमी के दिन क्यों नाग की पूजा होती है?
रविवार को सूर्य भगवान की पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी हो जाती है, इनकी पूजा करना बड़ा ही फलदायी होता है. इनकी उपासना करने से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है
रोजाना तुलसी पूजन करना चाहिए, रविवार को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए या रविवार को किस पेड़-पौधे को जल नहीं देना चाहिए. शाम के समय तुलसी के पास दीपक लगाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है.
आपको लग सकता है कि आपकी जिंदगी में मौजूद महिला को सबसे अच्छे अनुभव आपके साथ ही हुए हैं. लेकिन हो सकता है आप गलत हों, क्योंकि क्या पता वो अपने उन खास अनुभवों को आपसे छुपा रही हो.
श्रीगणेश पूजा अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है. चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण होती है.
भगवान भोलेनाथ की दो रूपों में पूजा की जाती है और वह हैं मूर्ति रूप और शिवलिंग रूप. महादेव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है, लेकिन लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
हर पूजा-पाठ अथवा मांगलिक कार्यों में नारियल की उपस्थिति रहती है. भारतीय संस्कृति में यह बहुत शुभ, पवित्र और कल्याणकारी माना जाता गया है. देवताओं के नैवेद्य में हवन यज्ञ में नारियल का उपयोग होता है.
हम अक्सर 56 भोग का नाम सुनते हैं, लेकिन इन 56 भोग में क्या-क्या शामिल हैं और आखिर क्यों 56 भोग का ही चढ़ाया जाता है? इसके बारे में शायद ही जानते हैं.
राजस्थान के चुरू जिले का सालासर बालाजी का धाम, जहां स्थापित होने की इच्छा स्वयं बजरंगबली ने प्रकट की थी. तब करीब ढाई सौ साल पहले बालाजी के परम भक्त बाबा मोहनदास ने यहां बालाजी की स्थापना की.