नई दिल्ली: शनि सूर्य से छठां ग्रह है और बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है. शनिदेव को सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता माना जाता है लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां हैं. इसलिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है.
आजकल ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नहीं है, जितना उसे माना जाता है. इसलिए वह शत्रु नहीं मित्र है. मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है.
भारतीय ज्योतिष के मुताबिक नव ग्रहों में से एक ग्रह शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है. शनि साढ़ेसाती के नाम से हर कोई डरता है क्योंकि इस काल में आने वाले सभी जातक भारी नुकसान का सामना करते हैं. तमाम कोशिशों के बाद कार्य पूर्ण नहीं होते. हर मोड़ पर असफलता का सामना करना पड़ता है.
शनि की साढ़ेसाती का रहस्य समझिए, नीलम, शनि ग्रह और शनिवार का संबंध समझिए, शनि ग्रह कष्ट क्यों देता है, शनि ग्रह कष्ट क्यों देता है, कैसे शांत होता है शनि ग्रह, शनि की परेशानी को कैसे खत्म कर सकते हैं, ग्रहों का हमारे जीवन पर प्रभाव क्या है बता रहे हैं आध्यात्मिक गुरू पवन सिन्हा इंडिया न्यूज के खास कार्यक्रम गुरु पर्व में.