गंगा, जाह्नवी और भागीरथी कहलानी वाली ‘गंगा नदी’ भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है. यह मात्र एक जल स्रोत नहीं है, बल्कि भारतीय मान्यताओं में यह नदी पूजनीय है जिसे ‘गंगा मां’ अथवा ‘गंगा देवी’ के नाम से सम्मानित किया जाता है.
नई दिल्ली: गंगा, जाह्नवी और भागीरथी कहलानी वाली ‘गंगा नदी’ भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है. यह मात्र एक जल स्रोत नहीं है, बल्कि भारतीय मान्यताओं में यह नदी पूजनीय है जिसे ‘गंगा मां’ अथवा ‘गंगा देवी’ के नाम से सम्मानित किया जाता है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार गंगा पृथ्वी पर आने से पहले सुरलोक में रहती थी. तो क्या कारण था जो यह पवित्र नदी धरती पर आई। इसे यहां कौन लाया? गंगा नदी के पृथ्वी लोक में आने के पीछे कई सारी लोक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन इस सबसे अहम एवं रोचक कथा है पुराणों में.
एक पौराणिक कथा के अनुसार अति प्राचीन समय में पर्वतराज हिमालय और सुमेरु पर्वत की पुत्री मैना की अत्यंत रूपवती एवं सर्वगुण सम्पन्न दो कन्याएं थीं. दो कन्याओं में से बड़ी थी गंगा तथा छोटी पुत्री का नाम था उमा. कहते हैं बड़ी पुत्री गंगा अत्यन्त प्रभावशाली और असाधारण दैवीय गुणों से सम्पन्न थी. लेकिन साथ ही वह किसी बन्धन को स्वीकार न करने के लिए भी जानी जाती थी.
हर कार्य में अपनी मनमानी करना उसकी आदत थी. हिमालय से बेहद ऊंचाई पर सुरलोक में रहने वाले देवताओं की दृष्टि गंगा पर पड़ी. उन्होंने उसकी असाधारण प्रतिभा को सृष्टि के कल्याण के लिए चुना और उसे अपने साथ स्वर्गलोक ले गए. अब पर्वतराज के पास एक ही कन्या शेष थी, उमा. उमा ने भगवान शिव की तपस्या की और तप पूर्ण होने पर भगवान शंकर को ही वर के रूप में मांग लिया.