आज गुडलक गुरु में पवन सिन्हा ने बताया कि सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन को संक्रान्ति कहते हैं. जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती है, तब अधिक मास होता है, जिसे मलमास भी कहते है. यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में होती है यानि लगभग हर तीन वर्ष बाद मलमास पड़ता है. इस वर्ष 17 जून से 16 जुलाई तक मलमास रहेगा. अषाढ़ महीने में मलमास पड़े ऐसा संयोग दशकों बाद आता है.
नई दिल्ली. आज गुडलक गुरु में पवन सिन्हा ने बताया कि सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन को संक्रान्ति कहते हैं. जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती है, तब अधिक मास होता है, जिसे मलमास भी कहते है. यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में होती है यानि लगभग हर तीन वर्ष बाद मलमास पड़ता है. इस वर्ष 17 जून से 16 जुलाई तक मलमास रहेगा. अषाढ़ महीने में मलमास पड़े ऐसा संयोग दशकों बाद आता है.
इससे पहले सन् 1996 में अषाढ़ के महीने में अधिक मास पड़ा था. जिस महीने में अधिक मास पड़ता है, उससे 6 महीने आगे तक पड़ने वाले सभी त्यौहारों की तिथियां 10 से 20 दिन की देरी से आती हैं. अधिक मास में विवाह, मुण्डन, यज्ञोपवीत आदि माॅगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. इस मास में सिर्फ भगवान का पूजन, भजन, ध्यान व तीर्थ यात्रा करने से विशेष लाभ मिलता है. अधिक मास में विष्णु जी की स्तुति करने का विधान है. अधिक मास में किया गया जप, तप व दान का कई गुना पुण्य मिलता है.
क्या करें- इस मास में भगवत गीता, श्री राम जी की आराधना, कथा वाचन और विष्णु की उपासना करनी चाहिए. दान, पुण्य, जप व ध्यान करने से पाप नष्ट होते है. धार्मिक यात्रायें व धार्मिक कार्यो में सहयोग करने से भी पुण्य मिलता है.
क्या न करें- मलमास में गृह प्रवेश, मुण्डन, यज्ञोपवीत, विवाह, गृह निर्माण, भूमि व प्रापर्टी में निवेश, नया वाहन, नया व्यवसाय आदि चीजों करना वर्जित बताया गया है.नया वस्त्र पहना भी वर्जित है.