नई दिल्ली. पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एकबार एक असुर, जिसका नाम मायिल-रावण था, भगवान विष्णु का चक्र ही चुरा ले गया. जब आंजनेय हनुमान जी को यह ज्ञात हुआ तो उनके हृदय में सुदर्शन चक्र को वापस लाकर विष्णु जी को सौंपने की इच्छा जाग्रत हुई
नुमान जी के संकल्प को जानकर भगवान विष्णु ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया, साथ ही इच्छानुसार वायुगमन की शक्ति के साथ गरुड़-मुख, भय उत्पन्न करने वाला नरसिम्ह-मुख तथा हयग्रीव एवं वराह मुख प्रदान किया. मायिल रावण की पूरी कथा आपको बताएंगे अध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा इंडिया न्यूज़ के खास कार्यक्रम गुडलक गुरु में.