हमारी संस्कृति में किसी भी पूजा-पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान का शुभारंभ श्रीगणेश की पूजा से होता है. उसी प्रकार बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना आरंभ नहीं होती.
नई दिल्ली. हमारी संस्कृति में किसी भी पूजा-पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान का शुभारंभ श्रीगणेश की पूजा से होता है. उसी प्रकार बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना आरंभ नहीं होती.
मान्यता अनुसार सूने मस्तक को अशुभ और असुरक्षित माना जाता है. तिलक चंदन, रोली, कुंकुम, सिंदूर या भस्म का लगाया जाता है. पूजा-पाठ के अलावा शुभ अवसर पर तिलक लगाना प्रसन्नता का, सात्विकता का और सफलता का चिन्ह माना जाता है. किसी महत्वपूर्ण कार्य या विजय अभियान में निकलने पर भी तिलक लगाया जाता है.
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