नई दिल्ली। 11 मार्च को भारत ने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के तहत ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। जो कि ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया था। जिसके बाद भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल […]
नई दिल्ली। 11 मार्च को भारत ने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के तहत ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। जो कि ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया था। जिसके बाद भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो चुका है। बता दें कि इस परियोजना का नेतृत्व हैदराबाद में देश के मिसाइल परिसर की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी द्वारा किया गया है। इस परियोजना के सफल परीक्षण के बाद जिस प्रकार PM मोदी ने पूरे मिशन को ‘मिशन दिव्यास्त्र’ का नाम दिया, उसी तरह वैज्ञानिक शीना रानी की चर्चा को ‘दिव्य पुत्री’ कहा जा रहा है।
शीना रानी इस अग्नि मिसाइल सिस्टम पर 1999 से काम कर रही हैं। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ परियोजना का नेतृत्व कर रहीं वैज्ञानिक शीना रानी का कहना है कि मैं डीआरडीओ की एक गौरवान्वित सदस्य हूं जो भारत की रक्षा में सहायता करती है। उन्होंने कहा कि वह भारत की प्रसिद्ध मिसाइल प्रौद्योगिकीविद् ‘अग्नि पुत्री’ टेसी थॉमस के नक्शेकदम पर काम करती हैं, जिन्होंने अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रानी ने कहा कि जब हम प्रक्षेपण की तैयारी कर रहे थे तो मेरे पेट में तितलियां उड़ रही थीं। मुझे वास्तव में आम जनता के बीच भ्रम की आशंका नहीं थी। रानी ने बताया कि देश में पहली बार 19 अप्रैल 2012 में अग्नि -5 का परीक्षण किया था और पूरी दुनिया ने इस पर ध्यान दिया था।
शीना रानी का जन्म तिरुवनंतपुरम में हुआ। जब वो कक्षा 10 वीं में थी तभी उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद मां ने ही उनका पालन-पोषण किया। रानी का कहना है कि मेरी मां मेरे और मेरी बहन के जीवन का असली स्तंभ हैं। कंप्यूटर विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ एक प्रशिक्षित इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियर शीना रानी ने तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में आठ साल तक काम भी किया।
साल 1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद वो सीधे तौर पर DRDO का हिस्सा बनीं। जिसके बाद 1999 से ही शीना रानी अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें भारत के ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा मिलती है।