Lijjat Papad Success Story: मात्र 80 रुपये से शुरू किया कारोबार, आज 25 देशों में होती है करोड़ों की कमाई

नई दिल्ली। अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता। कुछ ऐसी ही लगन दिखाई दी थी गुजरात की इन 7 महिलाओं में, जिन्होंने मात्र 80 रुपये से पापड़ बनाने के कारोबार की शुरुआत की थी। जबकि आज उनका ये कारोबार करोड़ों का बन चुका है। दरअसल, इस बिजनेस की […]

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Lijjat Papad Success Story: मात्र 80 रुपये से शुरू किया कारोबार, आज 25 देशों में होती है करोड़ों की कमाई

Nidhi Kushwaha

  • March 29, 2024 4:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली। अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता। कुछ ऐसी ही लगन दिखाई दी थी गुजरात की इन 7 महिलाओं में, जिन्होंने मात्र 80 रुपये से पापड़ बनाने के कारोबार की शुरुआत की थी। जबकि आज उनका ये कारोबार करोड़ों का बन चुका है। दरअसल, इस बिजनेस की शुरुआत 65 साल पहले जसवंती बेन ने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर की थी। हालांकि उनका मकसद कोई बिजनेस शुरू करना नहीं बल्कि अपने परिवार के खर्च में हाथ बंटाना ही था। लेकिन देखते ही देखते उनका ये काम एक ब्रांड के रूप में बनकर उभरा। जी हां बात कर रहे हैं देश के पॉपुलर ब्रांड लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) की, आइए जानते हैं इसके रोचक सफर के बारे में।

पैसे उधार लेकर शुरू किया था काम

दरअसल, इस कहानी की शुरुआत हुई 1959 में, जब जसवंती बेन ने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर लिज्जप पापड़ बनाना शुरू किया। जानकारी के अनुसार, जब एक बार महाराष्ट्र के गिरगांव में जसवंती बेन अपनी सहेलियां के साथ एक जगह बैठकर गपशप कर रही थी, उसी दौरान उन्हें पापड़ का काम शुरू करने का आइडिया सूझा। लेकिन परिवार के पास इसके लिए पैसे नहीं थे।

जिसके बाद इन लोगों ने समाजसेवी छगनलाल करमशी पारेख के पास जाकर उन्हें अपने बिजनेस आइडिया के बारे में बताया। इसमें छगनलाल करमशी पारेख ने उन्हें 80 रुपये की आर्थिक मदद दी। अब इन्हीं पैसों से पापड़ बनाने का काम शुरू हुआ। इस काम में जसवंती बेन के अलावा पार्वती बेन, उजम बेन, बानुबेन तन्ना, लागुबेन, जायबेन शामिल थीं। इसके अलावा एक महिला को पापड़ को बेचने की जिम्मेदारी दी गई। शुरू-शुरू में इन महिलाओं ने मिलकर 4 पैकेट पापड़ बनाए थे और एक कारोबारी के पास जाकर बेचा।

साल 1962 में रखा गया ब्रांड का नाम

इसके बाद साल 1962 में इसे ‘श्री महिला उद्योग लिज्जत पापड़’ काननाम दिया गया। वहीं साल 1966 में लिज्जत को सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर किया गया। जिसके बाद इस पापड़ का कारोबार तेजी से बढ़ने लगा। यही नहीं, आगे चलकर इस संस्था ने पापड़ के अलावा खाखरा, मसाला, आटा, चपाती, डिटरजेंट और बेकरी प्रोडक्ट भी बनाना शुरू किया। इतना ही नहीं लिज्जत ने कुटिर चमड़ा, माचिस और अगरबत्ती बनाने जैसे काम भी शुरू किए।

25 देशों में फैला है कारोबार

आज लिज्जत पापड़ के कोऑपरेटिव मूवमेंट में 45 हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं। जिन्हें लिज्जत सिस्टर्स कहा जाता है। यही नहीं आज देश में लिज्जत के 82 ब्रांच और 17 डिवीजन हैं। लिज्जत कंपनी का मुख्य ऑफिस मुंबई में स्थित है। आज देश के साथ-साथ विदेशों में भी इस पापड़ की बहुत डिमांड है। लिज्जत पापड़ का निर्यात 25 देशों में किया जाता है। जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, हॉलैंड, चीन, बहरीन, हॉन्गकॉन्ग और मलेशिया जैसे देश शामिल हैं। गौरतलब है कि लिज्जत पापड़ की शुरुआत करने वाली जसवंती बेन को पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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