नई दिल्ली। चंडीगढ़ में करीब दो साल पहले इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की शुरूआत की गई। जबकि आज चंडीगढ़ की सड़कों पर 80 इलेक्ट्रिक बसें दौड़ रही हैं। यही नहीं, इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। बता दें कि इलेक्ट्रिक बसों के चलन से करीब 17 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। साथ ही लगभग साढे़ 20 लाख लीटर डीजल भी बचाया गया है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन (CO2) को रोकने में सहायता मिली।
दरअसल, चंडीगढ़ शहर में इलेक्ट्रिक बसों के शुरू होने से यूटी परिवहन विभाग ने दो साल में 17.17 करोड़ रुपये का लगभग 20.38 लाख लीटर डीजल बचाया है। बता दें कि इन इलेक्ट्रिक बसों को नवंबर 2021 में खरीदा गया था। वहीं पिछले 26 महीनों से अधिक समय में 1.51 करोड़ से ज्यादा यात्री इन बसों द्वारा यात्रा कर चुके हैं। इस संबंध में यूटी परिवहन निदेशक प्रद्युम्न सिंह ने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान बताया कि इलेक्ट्रिक बसें अब तक इंट्रा-सिटी मार्गों पर 1.01 करोड़ किमी की दूरी तय कर चुकी हैं, जिससे 20.38 लाख लीटर से अधिका का डीजल बचाया जा चुका है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक बसों ने 5380.42 टन CO2 एमिशन को रोकने में भी सहायता की।
यूटी परिवहन निदेशक प्रद्युम्न सिंह ने आगे बताया कि बस को एक बार चार्ज करने के बाद करीब 130 किमी तक चलाया जा सकता है। ऐसे में किसी भी वाहन को चार्ज होने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। हर बस में लोगों के बैठने के लिए 36 सीटें हैं और एक समय में ज्यादातर 54 लोग जा सकते हैं। औसतन, इनमें से हर एक बस, एक दिन में 200 किमी से 300 किमी तक की दूरी तय करती है।
बता दें कि इस साल परिवहन विभाग की योजना 100 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की है। यह 2027-28 तक सीटीयू की 350 डीजल बसों के पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की प्रशासन की योजना को बढ़ावा देगा। चंडीगढ़ शहर में देश का सबसे बड़ा पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम है, जिसमें 10 लाख सवारी 41 लाख किमी के क्षेत्र को कवर करते हैं। इसमें 1,010 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कटौती होती है।
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