नई दिल्ली। आज का युग साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी का युग बन चुका है। साथ ही इसमें लगातार नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। दरअसल, ओड़िशा के भुवनेश्वर में ड्रोन की मदद से एक जगह से दूसरे जगह ब्लड बैग भेजने(Blood Transportation From Drone) का प्रयोग किया गया है। जानकारी के अनुसार, ये एक पायलट प्रोजेक्ट था जो सफल रहा। इस ड्रोन से 120 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 70 मिनट में तय की गई है। जिसमें खास बात यह रही कि, इसके साथ भेजे गए खून के थैले का वजन लगभग 2 किलोग्राम(kg) था। ये प्रोजेक्ट, चिकित्सा के जगत में एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें कि इससे पहले, मई 2023 में 10 यूनिट ब्लड के पैकेट को ड्रोन(Blood Transportation From Drone) की मदद से तकरीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर सिर्फ 15 मिनट में पहुंचाया गया था। ये परीक्षण उत्तर प्रदेश के नोएडा में हुआ था। गौरतलब है कि कोरोना काल में ड्रोन की मदद से कई जगह दूरदराज के इलाकों में वैक्सीन भी पहुंचाई गई थी। अब इसी की मदद से इमरजेंसी केस में ब्लड को भी एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।
दरअसल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भुवनेश्वर के द्वारा विशेष रूप से आपदाओं के दौरान लोगों तक आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का मंगलवार को सफल परीक्षण किया गया। इस दौरान, ड्रोन ने संस्थान से CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) तांगी तक 120 किलोमीटर की दूरी 70 मिनट में पूरी कर ली। इस परीक्षण की मदद से लगभग दो किलोग्राम वजन के ब्लड बैग को आसानी से 120 km दूर पहुंचाया गया।
इस संबंध में एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने कहा कि ड्रोन से खून भेजने(Blood Transportation From Drone) के परीक्षण के दौरान कोई समस्या नहीं आई। आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने से ग्रामीण, आदिवासी और अर्ध-शहरी स्थानों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार हो सकता है। बता दें कि ये अविष्कार ग्रामीण इलाकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। इस सुविधा से आपातकालीन स्थितियों, बाढ़, भूकंप या दूरस्थ इलाकों में जल्दी मदद पहुंचाई जा सकेगी।
वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया, यह पहल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पीएमएसएसवाई (प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) का ही एक हिस्सा है। जिसका उद्देश्य दूरदराज और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि ये इमरजेंसी केस वाले मरीजों के लिए वरदान साबित होगा।
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