नई दिल्ली. कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने में बैंकों की सख्ती से परेशान बिल्डर्स ने एश्योर्ड रिटर्न नाम का एक ऐसा लॉलीपॉप इजाद किया है जिसके जरिए वो ग्राहकों से ही प्रोजेक्ट के लिए जरूरी पैसे जुटा रहे हैं. ब्याज के मार्केट रेट से कम का एश्योर्ड रिटर्न देकर बिल्डर्स आपके पैसे से अपना प्रोजेक्ट चला रहे हैं.
अख़बारों के पन्नों में आपको 23 लाख इन्वेस्ट करें और हर महीने 23 हजार का एश्योर्ड रिटर्न पाए जैसे विज्ञापन आपको लुभा रहे होंगे. बिल्डर्स के ऐसे ऑफर्स में कहीं आपको 11 परसेंट तो कहीं 12 परसेंट एश्योर्ड रिटर्न विद बैंक गारंटी का विज्ञापन नज़र आएगा. ऐसे लुभावने ऑफर्स के पीछे भागने की बजाए उनकी हकीकत पता करना बेहद ज़रूरी है.
12 परसेंट रिटर्न देकर भी 4-5 परसेंट कमा ले रहे हैं बिल्डर्स
बैंक कॉमर्शियल प्रोजेक्ट पर कंपनियों को कर्ज देने में काफी सख्ती बरत रहे हैं. ऐसे में एश्योर्ड रिटर्न के बहाने लोगों से पैसा जुटाने का बिल्डर्स ने नायाब तरीका निकाला है. बिल्डर्स एश्योर्ड रिटर्न के लिए बैंक गारंटी भी दे रहे हैं जबकि आरबीआई गाइडलाइन्स के मुताबिक कोई भी बैंक कॉमर्शियल प्रोजेक्ट पर एक साल से ज्यादा की गारंटी नहीं दे सकता है.
ज्यादातर अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स को पूरा होने में करीब तीन से चार साल का वक्त लगता है. बिल्डर्स के मुताबिक बैंक से 16 परसेंट की ब्याज दर से कर्ज लेने के बजाए लोगों से पैसा जुटाना सस्ता भी पड़ रहा है और आसान भी.
यानी ग्राहकों को 10 से 12 परसेंट तक का रिटर्न देने के बाद भी बिल्डर्स बुकिंग एमाउंट पर पांच परसेंट की दर से कमाई कर रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहकों से एडवांस रकम लेने के लिए बिल्डर्स को बैंकों से कर्ज लेने की तरह कागजी कार्यवाही और दूसरी कोई शर्त भी नहीं पूरी करनी पड़ती है.