नई दिल्ली. रियल एस्टेट रेग्युलेटर बिल को जहां एक तरफ सरकार अमलीजामा पहनाने में लगी है. वहीं दूसरी तरफ बिल्डर अपनी मनमानियां करने से बाज नहीं आ रहे हैं. खुद का आशियाना लेने के लिए पहले बिल्डर को मुहमांगी कीमत देना और घर मिल जाने के बाद भी बिल्डर की मनमानी सहना ग्राहकों के लिए आम बात हो चुकी है. बिल्डरों के पास ग्राहकों को फंसाने और फांसने के इतने हथकंडे हैं. ग्राहक हमेशा बेचारा बनकर रह जाता है.
कभी मेंटनेंस चार्ज तो कभी ओवर ड्यू के नाम पर ग्राहकों से उगाही करने वाले बिल्डरों ने लूट का नया बिजली मंत्र लाया है. बिजली ऐसी जरुरत है जिसके बगैर शहरी जिंदगी एक कदम आगे नहीं बढ़ सकती. इसी वजह से बिल्डरों ने बिजली को ब्लैकमेलिंग का जरिया बनाया है.
बिजली विभाग जिन तय दरों पर बिजली देता है उससे कई गुना ज्यादा दर पर बिल्डर ग्राहकों को बिजली दे रहा है. बिजली के कनेक्शन के नाम पर और बिजली की खपत के नाम बिल्डर ग्राहकों को ब्लेकमेल कर रहा है.
बिल्डर्स की मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि अगर ग्राहक बिल्डर की शर्त नहीं मान रहा है तो उसके घर की बिजली को काट दिया जा रहा है. ऐसे में ग्राहकों के पास दो ही रास्ते हैं या तो वो बिल्डर को बिजली के नाम पर मुंहमांगी कीमत दे या फिर बिल्डर के खिलाफ आवाज उठाए.