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घर एक सपना: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कैसे मिले घर?

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सिर पर छत होना किसी भी शख्स के लिए मुराद से कम नहीं है. दिन रात मेहनत करके लोग इस शहर में पहले दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते है और उसी हाड़ तोड़ मेहनत से दो पैसे बचाकर अपने रहने के लिए घर का इंतजाम करते है.

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  • June 11, 2016 12:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सिर पर छत होना किसी भी शख्स के लिए मुराद से कम नहीं है. दिन रात मेहनत करके लोग इस शहर में पहले दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते है और उसी हाड़ तोड़ मेहनत से दो पैसे बचाकर अपने रहने के लिए घर का इंतजाम करते है.
 
बस यू समझ लिजिए कि जिंदगी की आधी से ज्यादा उम्र घर के इसी सपने को पूरा करने में लग जाती है लेकिन लोगों के इस दर्द की किसी को कोई परवाह नहीं है. हम बात कर रहे है घर का सपना बेचने वाले बिल्डर्स डेवलपर्स और न्याय दिलाने वालों की.
 
एक ताजा मामले में तकरीबन 500 लोग बिल्डर की धोखाधड़ी में फंसे है.उनकी सारी कमाई ऐसे बिल्डर के ऐसे जाल में उलझी है.जिससे निकाल पाना उन लोगों के बस की बात नहीं. इसी तरह इस कमला लैंड मार्क बिल्डर के कई प्रोजेक्ट है मुंबई में जिसमें अब तक काम शुरू नहीं हुआ है .
 
जानकारी के मुताबिक़ इस बिल्डर ने अब तक क़रीबन १००० करोड़ तक का घोटाला किया है.इस बिल्डर के खिलाफ एक ऑनलाइन मुहिम भी छेड़ी गयी है अब तक क़रीबन ५०० से अधिक लोगों के ऑनलाइन शिकायत दर्ज की है लेकिन सवाल यह है कि इतना सब कुछ होने के बाद ये बिल्डर कैसे खुलेआम घूम रहा है.
 
सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी का ये इकलौता मामला नहीं मुंबई के नालासोपारा में तो जालसाजों शासन और प्रशासन की नाक के नीचे 1200 अवैध प्लैट बना दिए. भोली भाली जनता के तकरीबन 300 करोड़ रुपए डकार लिए. एक ऐसी जमीन पर घर बनाकर दे दिया जो बिल्डर की थी ही नहीं. इतना ही नहीं बैंक को फर्जी कागजात दिखाकर लोगों को लोन तक दिलवा दिया जाता है. सोचिए किस कदर इस सिस्टम में जालसाजों की जड़े मजबूत है.कोई भरोसा करें तो किस पर करें.
 

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