नई दिल्ली. बिल्डर्स की मनमानी इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब ग्राहकों को ये डर सताने लगा है कि घर का सपना सच होने दे या फिर सपने को सपना ही रहने दें. क्योंकि इन दिनों बिल्डर्स झूठे दावे और वादे करके ग्राहकों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं. गुड़गांव में बीपीटीपी […]
नई दिल्ली. बिल्डर्स की मनमानी इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब ग्राहकों को ये डर सताने लगा है कि घर का सपना सच होने दे या फिर सपने को सपना ही रहने दें. क्योंकि इन दिनों बिल्डर्स झूठे दावे और वादे करके ग्राहकों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं.
गुड़गांव में बीपीटीपी बिल्डर के प्रोजेक्ट पार्क सरीन में रहने वाले लोगों के साथ ऐसा ही हुआ है. बिल्डर ने ग्राहकों के साथ जो खेल खेला है. उसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
साल 2008 में मुकुल गुप्ता ने गुड़गांव के सेक्टर 37 डी में अपनी सालों की जमा की गई पूजी से बीपीटीपी बिल्डर के पार्क सरीन प्रोजेक्ट में एक फ्लैट खरीदा. बिल्डर ने घर का पज़ेशन साल 2012 में देने का वादा किया था. लेकिन 8 साल गुजर गए, अभी तक ना तो पजेशन मिला और ना ही कोई ऐसी तारीख मिली, जिस पर उम्मीद की जा सके.
आलम ये है कि मुकुल जैसे सैंकड़ों ग्राहक अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. क्योंकि बीपीटीपी बिल्डर ने जो वादा किया वो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. ये मामला सिर्फ पजेशन में देरी का नहीं बल्कि बिल्डर ग्राहकों के साथ लगातार मनमानी भी कर रहा है.
बिल्डर ने साल 2008 में बीपीटीपी पार्क सरीन प्रोजेक्ट में बुकिंग लेनी शुरू कर दी और साल 2011 में फ्लैट्स के पज़ेशन देने का वादा कर दिया. जबकि ग्राहकों का दावा है कि उस समय बिल्डर के पास प्रोजेक्ट बनाने का लाइंसेंस तक नहीं था. जिसे बिल्डर ने छिपा कर रखा.
ये खुलासा तो आरटीआई के ज़रिए हुआ. इसके अलावा बिल्डर ने कहां-कहां ठगी की अब जरा ये देखिए. बिल्डर ने ग्राहकों से साल 2011 तक 95 परसेंट कीमत वसूल ली थी लेकिन बावजूद इसके पज़ेशन की ताऱीख नहीं दी. हां एक खेल ग्राहकों को बरगलाने के लिए जरुर खेला. बिल्डर ने साल 2015 में पज़ेशन देने के लिए ग्राहकों को चिट्ठी भेजी और साथ ही ग्राहकों से अलग से12-15 लाख रूपये गैरकानूनी तरीके से झटक लिए.
बिल्डर ने ये रकम कॉस्ट एक्सकेशलन और फ्लैट्स का एरिया बढ़ाने के नाम पर मांगी. जबकि बिल्डर ने ग्राहकों से एग्रीमेंट के दौरान कहा था कि प्रोजेक्ट कॉस्ट एकसकेलेश फ्री है. इतना ही नहीं बिल्डर ने बिना औक्यूपेंसी सर्टिफिकेट हासिल किए ही ग्राहकों को फ्लैट्स का पज़ेशन ऑफर दे डाला.
जबकि आजतक प्रोजेक्ट में मूलभूत सुविधाएं जैसे प्रोजेक्ट की कनेक्टिवीटी, बिजली पानी की सप्लाई और फायर फाइटिंग पाथ तक मौजूद नहीं है. जबकि कानूनी तौर पर जब तक किसी प्रोजेक्ट में बिल्डर मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवता तो अथॉरिटी से उसको औक्यूपेंसी सर्टिफिकेट हासिल नहीं होता और जानकारों का कहना है कि बिल्डर अगर ऐसे पज़ेशन ऑफर करता है तो वो पूरी तरह से गैरकानूनी हैं.
अब सवाल ये है की आखिर 8 साल से फ्लैट का पज़ेशन का इंतज़ार कर रहे ग्राहक कहां जाएं. सवाल ये भी है कि आखिर आधी अधूरी सुविधाओं के लिए जिम्मेदार कौन है. सवाल ये भी है कि बिल्डर अथॉरिटी के नियमों को ताक पर रख कर ग्राहकों को फ्लैट्स का पज़ेशन बिना कंपलशिन सर्टिफिकेट के कैसे दे सकता है और क्या बिल्डर को बार बार कीमत बढ़ाने का हक है.
सवाल और भी हैं लेकिन इनका किसी के पास नहीं है. यही वजह है बिल्डर खुलेआम अपनी मनमानी कर रहे हैं. और आज भी खरीदार फ्लैट के पज़ेशन के लिए बिल्डर के चक्कर काट रहे हैं . जब ग्राहकों ने India News से शिकायत की. तो हमने भी बीपीटीपी बिल्डर को मेल किया लेकिन कंपनी ने गोलमोल जवाब देकर शिकायत को अनदेखा कर दिया
बीपीटीपी पार्क सरीन प्रोजेक्ट के खरीदारों के जब सिर से पानी उपर हो गया तो उन्होने बिल्डर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का मन बना लिया और मामला एनसीआरडीसी में चला गया.
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