बिल्डर्स की मनमानी इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब ग्राहकों को वास्तव में डर लगने लगा है कि घर का सपना पूरा करें या फिर घर के सपने को सपना ही रहने दें. बिल्डर्स झूठे वादे और दावे करके ग्राहकों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं.
नई दिल्ली. बिल्डर्स की मनमानी इस कदर बढ़ती जा रही है कि अब ग्राहकों को वास्तव में डर लगने लगा है कि घर का सपना पूरा करें या फिर घर के सपने को सपना ही रहने दें. बिल्डर्स झूठे वादे और दावे करके ग्राहकों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं.
आज हम इस शो में ऐसे ही एक बिल्डर की करतूत सामने लेकर आ रहे है, जिसने जालसाजी और धोखाधड़ी की सारी हदें पार कर दी हैं. इस बिल्डर का नाम है पार्श्वनाथ बिल्डर. ये नाम दिल्ली और देश के दूसरे बड़े शहरों में जाना पहचाना नाम है और हो सकता है आपमें से कई लोगों की मेहनत का पैसा इस बिल्डर के प्रोजेक्ट में लगा हो. लेकिन इस खुलासे को देखने के बाद आपका दिमाग घूम जाएंगा. आप सोच में पड जाएंगे कि अपने फायदे के लिए कोई बिल्डर इस कदर भी लोगों को धोखे में रख सकता है.
साल 2004 में सुकेश मलहोत्रा ने दिल्ली के पॉश इलाके सीविल लाइन्स में पार्श्वनाश बिल्डर के ला ट्रॉपिकाना प्रोजेक्ट में एक 3 बेडरूम का फ्लैट खरीदा था. बिल्डर को 95 परसेंट पेमेंट करने के बाद आज 12 साल बीत गए. सुकेश मलहोत्रा के हाथ खाली है ना तो घर मिला और ना ही ऐसा कोई भरोसा, जो आने वाले वक्त में उन्हे उनका घर दिला सके.
दिल्ली में ही किराए पर रहने वाले नीपुन गुप्ता. इन्होने भी अपनी गाढ़ी कमाई से पैसा निकालकर साल 2004 में ही पार्श्वनाश बिल्डर के ला ट्रॉपिकाना प्रोजेक्ट में 3 बेडरूम फ्लैट खरीदा. नीपुन कहते है कि इन्होने पार्श्वनाथ बिल्डर को पूरी पेमेंट भी की लेकिन पज़ेशन के लिए बिल्डर ने इन्हें सिर्फ झूठी तारीखे देकर चक्कर काटने पर मज़बूर कर दिया.
ये मामला सिर्फ पजेशन में देरी का नहीं. कहानी इससे भी बड़ी और डरावनी है. डरावनी इसीलिए क्योकि इसमें करोडों की जालसाजी हुई है. पजेशन में देरी की कोई वजह होती है लेकिन यहां तो जानबूझकर देरी की गई है. क्यों और इस देरी से बिल्डर का क्या फायदा है उसे समझने के लिए थोड़ा पीछे चलिए.
दरअसल साल 2004 में पार्श्वनाश बिल्डर ने सीविल लाइन्स में ला ट्रॉपिकाना प्रोजेक्ट को ज़ोर शोर से 3,500 रुपये/SQFT के रेट पर लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट के लिए पार्श्वनाथ बिल्डर को ज़मीन DMRC से 99 साल की लीज़ पर मिली थी. लोगों ने इस प्रोजेक्ट में दिल खोलकर पैसा लगाया. क्योंकि उस वक्त जो वादा किया गया वो बड़ा ही साफ सुथरा और सीधा सादा था. बिल्डर ने ग्राहकों से कहा कि वो इस प्रोजेक्ट का पज़ेशन साल 2009 में ग्राहकों को हर हाल में दे देंगे. लेकिन आज 12 साल बीतने को आए ग्राहकों को फ्लैट्स का पज़ेशन नहीं मिल पाया है.