नई दिल्ली : दुनिया भर में स्पेशल फोर्स जैसे कि SWAT, कमांडो यूनिट, ब्लैक कैट कमांडो और अन्य ऑपरेशन टीमों के जवान अक्सर काली वर्दी में दिखते होंगे। भारत में भी स्पेशल फोर्स के सभी कमांडो काली वर्दी पहनते हैं। आइए आज इस खबर में जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों है। इसके […]
नई दिल्ली : दुनिया भर में स्पेशल फोर्स जैसे कि SWAT, कमांडो यूनिट, ब्लैक कैट कमांडो और अन्य ऑपरेशन टीमों के जवान अक्सर काली वर्दी में दिखते होंगे। भारत में भी स्पेशल फोर्स के सभी कमांडो काली वर्दी पहनते हैं। आइए आज इस खबर में जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों है। इसके पीछे वैज्ञानिक और रणनीतिक उद्देश्य क्या है।
दरअसल, स्पेशल फोर्स के ऑपरेशन ज्यादातर रात में या कम रोशनी वाली जगहों पर होते हैं। ऐसे में काली वर्दी रात के अंधेरे में बेहतर तरीके से घुलमिल जाती है। इसकी वजह से कमांडो दुश्मन की नजरों से छिपे रहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो काली वर्दी का असली मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जवानों की मौजूदगी दुश्मन को कम से कम दिखाई दे, ताकि कमांडो बिना पकड़े अपने मिशन को अंजाम दे सकें। इसके अलावा, काली वर्दी उन तकनीकी उपकरणों के साथ घुलमिल जाती है जो कमांडो की वर्दी पर लगे होते हैं। जैसे कि नाइट विजन गॉगल्स, हेलमेट और टैक्टिकल गियर।
काली वर्दी के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, आमतौर पर काले रंग को शक्ति, भय और रहस्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में जब स्पेशल फोर्स काली वर्दी पहनकर किसी ऑपरेशन में उतरती है, तो दुश्मन पर इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। कई बार तो काले कमांडो को देखकर ही दुश्मन की हिम्मत जवाब दे जाती है। इसके अलावा, काली वर्दी पूरी दुनिया में एक तरह का पहचान चिह्न भी है, जो यह दर्शाता है कि इसे पहनने वाला व्यक्ति आम सैनिक या जवान से ज़्यादा एक प्रशिक्षित कमांडो है।
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