नई दिल्ली: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में बादल फटे हैं जिससे दोनों राज्यों में भारी तबाही हुई है। ये कैसी समस्या है और कैसे होता है, जानिए सबकुछ। बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा है, इस वक्त बादल फटने की आपदा ने देश के कई राज्यों में तबाही मचाई हुई है। बादल फटने […]
नई दिल्ली: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में बादल फटे हैं जिससे दोनों राज्यों में भारी तबाही हुई है। ये कैसी समस्या है और कैसे होता है, जानिए सबकुछ।
बादल फटना एक प्राकृतिक आपदा है, इस वक्त बादल फटने की आपदा ने देश के कई राज्यों में तबाही मचाई हुई है। बादल फटने से कई लोगों की मौतें भी हुई हैं, इसके अलावा सड़कें, इमारतें सबकुछ मलबे में तब्दील हो गई है।
जब कहीं ज्यादा नमी वाले बादल एकसाथ एक ही जगह पर इकट्ठे हो जाते हैं तो वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। ऐसे में बादलों के वजन से डेंसिटी बढ़ जाती है और अचानक तेज स्पीड में बारिश होने लगती है। बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर ज्यादा होती हैं। क्योंकि ऐसी स्थिति पहाड़ों पर ज्यादा बनती है।
पानी से भरे बादल जब हवा के साथ उड़ते हैं तो पहाड़ी इलाकों में वे पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं। इन पहाड़ों की लंबाई से बादल आगे नहीं बढ़ पाते हैं और पहाड़ों के बीच फंसने से बादल पानी के रूप में बरसने लग जाते हैं। क्योंकि बादलों में पानी का घनत्व ज्यादा होता है तो ऐसी बारिश काफी तेज होती है। पहाड़ों पर यह घटना आमतौर पर धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है।
यदि किसी जगह पर 1 घंटे में 100 मिमी. से अधिक वर्षा होती है तो इसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहते है।सिंपल भाषा में कहें तो बादल फटने पर कम समय में ज्यादा मात्रा में बारिश पड़ती है। बादल फटना बारिश का एक प्रचंड रूप माना जाता है।
इस वक्त उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में बादल फटे हैं। उत्तराखंड के टिहरी में जखनियाली और नौताड़ में बादल फटे हैं, इसके अलावा केदारनाथ मार्ग पर भी भारी तबाही हुई है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और मंडी में भी बादल फटने की घटना हुई है, यहां भी कई गांवों और घरों को नुकसान हुआ है। यहां 50 से ज्यादा लोग अबतक लापता बताए जा रहे हैं।
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