इंसान का दिमाग सो जाने पर भी उसका एक हिस्सा जगा रहता है, जानें पूरा रिसर्च

नई दिल्ली: दिमाग इंसान के शरीर का अहम हिस्सा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान का दिमाग कितनी देर तक सक्रिय रहता है और कैसे काम करता है। आज हम आपको बताएंगे कि दिमाग के अलग-अलग हिस्से कैसे काम करते हैं और सोते समय कौन-सा हिस्सा सक्रिय रहता है। इंसान का शरीर […]

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इंसान का दिमाग सो जाने पर भी उसका एक हिस्सा जगा रहता है, जानें पूरा रिसर्च

Manisha Shukla

  • August 12, 2024 11:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: दिमाग इंसान के शरीर का अहम हिस्सा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान का दिमाग कितनी देर तक सक्रिय रहता है और कैसे काम करता है। आज हम आपको बताएंगे कि दिमाग के अलग-अलग हिस्से कैसे काम करते हैं और सोते समय कौन-सा हिस्सा सक्रिय रहता है।

इंसान का शरीर

दिमाग इंसान के शरीर का अहम हिस्सा है। अमेरिका में हुए एक शोध में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। इस शोध में पता चला है कि जब हम जागते हैं तो हमारे दिमाग का एक छोटा हिस्सा झपकी लेता है। लेकिन जब हम सो रहे होते हैं तो यही हिस्सा बार-बार जागता रहता है। वैज्ञानिकों ने इस नई खोज को बेहद अहम बताया है, जिससे कई बीमारियों को समझने में मदद मिल सकती है।

शोध में हुआ खुलासा

शोध में पता चला है कि दिमाग के एक बेहद छोटे हिस्से में दिमाग की तरंगें अचानक कुछ मिलीसेकंड के लिए रुक जाती हैं। वहीं, सोते समय दिमाग की तरंगें अचानक इस हिस्से में चलने लगती हैं। इतना ही नहीं, दिमाग की तरंगें दिमाग के सोने और जागने का भी पता लगाती हैं। 4 साल तक चले शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों के दिमाग के 10 अलग-अलग हिस्सों में दिमाग की तरंगों के वोल्टेज को मापा और बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी डेटा इकट्ठा किया।

शोधकर्ताओं ने कई महीनों तक चूहों के एक छोटे समूह की गतिविधियों पर माइक्रोसेकंड सीमा तक नज़र रखी। इस डेटा का विश्लेषण एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क के माध्यम से किया गया और नेटवर्क से उन पैटर्न और विसंगतियों का पता लगाने के लिए कहा गया जो मानव अध्ययनों में नहीं पकड़े गए हैं। बायोमॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डेविड हॉसलर ने कहा कि वैज्ञानिकों के रूप में हम यह जानकर हैरान थे कि जब हमारा बाकी मस्तिष्क जाग रहा होता है, तब हमारे मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से झपकी ले रहे होते हैं। अनियंत्रित नींद से संबंधित न्यूरोडेवलपमेंटल और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने और उनका इलाज खोजने में यह नई खोज बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। वहीं, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर कीथ हेंगेन ने कहा कि नींद और जागना हमारे व्यवहार के सबसे बड़े निर्धारक हैं। इसलिए, अगर हम नहीं जानते कि नींद और जागना वास्तव में क्या है, तो हम पीछे रह जाएंगे। जितना अधिक हम नींद और जागने के मूल सिद्धांतों को समझेंगे, उतना ही हम बीमारियों को हल करने में सक्षम होंगे।

 

 

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