नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चारों तरफ से घिर गई हैं। घटना को एक महीना हो गया है लेकिन प्रदर्शनकारी डॉक्टर अभी भी सड़कों पर हैं। मामला इतना बढ़ गया है कि ममता बनर्जी के इस्तीफे की भी बात चल रही है। इन सब घटनाक्रमों के बीच बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता बनर्जी की तुलना उपन्यासकार विलियम शेक्सपियर की मशहूर महिला पात्र लेडी मैकबेथ से की है। आनंद बोस ने ममता को ‘बंगाल की लेडी मैकबेथ’ बताया।
लेडी मैकबेथ विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘द ट्रेजडी ऑफ मैकबेथ’ की मुख्य पात्र है। इस नाटक को एक बड़ी त्रासदी माना जाता है। जिस पर विशाल भारद्वाज ने भारत में ‘मकबूल’ नाम से फिल्म भी बनाई थी। इस नाटक के जरिए शेक्सपियर यह संदेश देना चाहते हैं कि मनुष्य की अनंत आकांक्षाएं हमेशा विनाशकारी होती हैं, जो सबसे पहले व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट करती हैं। जैसा कि लेडी मैकबेथ के साथ हुआ। उसकी महत्वाकांक्षा, लालच, सत्ता की भूख इतनी बड़ी है कि वह गलत कदम उठाने से भी नहीं हिचकिचाती। बहुत खून-खराबा होता है और अंततः लेडी मैकबेथ का पतन हो जाता है।
मैकबेथ एक बहादुर स्कॉटिश जनरल है। लेडी मैकबेथ उसकी पत्नी है। जब भी हम लेडी मैकबेथ के किरदार की बात करते हैं, तो तीन चुड़ैलों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। राजा मैकबेथ को इन चुड़ैलों से एक भविष्यवाणी मिलती है कि एक दिन वह स्कॉटलैंड का राजा बनेगा। राजा डंकन स्कॉटलैंड का राजा हुआ करता था। लेडी मैकबेथ राजा मैकबेथ को डंकन को मारने के लिए उकसाती है ताकि वह खुद स्कॉटलैंड की रानी बन सके। वे दोनों डंकन के दो चेम्बरलेन को नशे में धुत करने की योजना बनाते हैं ताकि वे बेहोश हो जाएँ। इस योजना के साथ कि अगली सुबह वे हत्या के लिए चेम्बरलेन को फंसा देंगे। जब डंकन सो रहा होता है, तो मैकबेथ उस पर चाकू से हमला करता है और उसे मार देता है। उसके बाद, मैकबेथ अपने झूठ को छिपाने के लिए कई और हत्याएँ करता है।
कई लोग दावा करते हैं कि लेडी मैकबेथ राजा मैकबेथ से भी बड़ी खलनायिका है क्योंकि भले ही उसने असल में हत्या नहीं की हो, लेकिन उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राजा मैकबेथ को हत्या करने के लिए उकसाया था। यही कारण है कि लेडी मैकबेथ को मैकबेथ से भी ज़्यादा क्रूर कहा जाता है। जब राजा मैकबेथ को अपराध बोध होता है या वह पीछे हटने की कोशिश करता है, तो लेडी मैकबेथ भी उसकी मर्दानगी पर सवाल उठाने लगती है।
हालांकि, समय के साथ अपराध बोध लेडी मैकबेथ पर भी हावी हो जाता है। उसे बुरे सपने आते हैं। नाटक में इससे जुड़ा एक बहुत मशहूर सीन है जिसमें लेडी मैकबेथ को लगता है कि उसके हाथ अभी भी खून से सने हुए हैं और वह उन्हें बार-बार धोती है लेकिन उसके हाथों पर लगा खून साफ नहीं हो रहा है। धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति बद से बदतर होती जाती है। और उसका अपराध बोध आखिरकार उसे आत्महत्या की ओर ले जाता है। वह पागल हो जाती है और अपनी जान ले लेती है।
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