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रमा एकादशी व्रत करने से मिलेंगे बड़े लाभ, जानिए पूजा विधि और तुलसी का महत्व

नई दिल्ली: रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है। आइए जानते हैं कैसे करें इस […]

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  • October 22, 2024 2:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है। आइए जानते हैं कैसे करें इस पावन दिन पर विधि विधान से पूजा?

रमा एकादशी का महत्व

रमा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में आती है और इसका संबंध भगवान विष्णु से है। रमा एकादशी को पवित्र और शुभ माना जाता है, और इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह एकादशी विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि मिलती ह

रमा एकादशी पर पूजा विधि

रमा एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाकर पूजा की शुरुआत करनी चाहिए। पूजा में विष्णु भगवान को पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी का पत्ता इस पूजा का अहम हिस्सा होता है, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं। पूजा करते समय विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान से अपने पापों की क्षमा मांगें। व्रत के दौरान फलाहार करना उचित माना जाता है, और शाम को विष्णु भगवान की आरती कर व्रत का समापन किया जाता है।

रमा एकादशी व्रत कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। इसके अनुसार इस साल रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। द्वादशी तिथि खत्म होने से एकादशी व्रत का पारण करना बेहद जरूरी होता है। एकादशी व्रत का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद यानीस 29 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा। 29 अक्टूबर को सुबह 6:31 मिनट से सुबह 8:44 मिनट तक रमा एकादशी व्रत के पारण का समय रहेगा। द्वादशी तिथि इसी दिन सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

रमा एकादशी पर तुलसी का महत्व

तुलसी को रमा एकादशी की पूजा में विशेष स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को बिना तुलसी अर्पित किए पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी के पत्ते को भगवान के चरणों में अर्पित करने से भक्त को विष्णु भगवान की कृपा मिलती है। तुलसी में औषधीय गुण भी होते हैं, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं।

रमा एकादशी का व्रत क्यों करें?

रमा एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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