नई दिल्ली: शिक्षक दिवस यानी (Teachers’ Day) का महत्व भारत में बहुत खास होता है। यह दिन हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य केवल शिक्षकों का सम्मान करना ही नहीं बल्कि उनके योगदान को पहचानना और समाज में उनके महत्त्व को उजागर करना भी है। आइए जानते हैं शिक्षक दिवस मनाने के पीछे आखिर क्या उद्देश्य है और इसका क्या इतिहास है?
भारत में शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा 5 सितंबर 1962 में शुरू हुई थी। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रूप में मनाया गया, जो भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक थे। डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा व्यक्ति के जीवन को बदलने की क्षमता रखता है और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। डॉ. राधाकृष्णन एक महान विद्वान, दार्शनिक, लेखक और शिक्षक थे। उनका शिक्षा के क्षेत्र में योगदान इतना महत्वपूर्ण था कि जब वे भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके शिष्यों और मित्रों ने उनके जन्मदिन को विशेष रूप से मनाने का प्रस्ताव रखा। इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को शिक्षकों के सम्मान के रूप में मनाया जाए। तभी से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में निधन हुआ था।
शिक्षक दिवस का मुख्य उद्देश्य समाज में शिक्षा के महत्व को उजागर करना और शिक्षकों के प्रति सम्मान का भाव जागृत करना है। यह दिन विद्यार्थियों के लिए अपने शिक्षकों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद कहने का अवसर होता है। साथ ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य नई पीढ़ी को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और उन्हें शिक्षकों के प्रति आदर से पेश आना भी सिखाना है। टीचर्स डे का महत्व सिर्फ शिक्षकों के सम्मान तक सीमित नहीं है। यह दिन शिक्षा के महत्व को भी समझने का एक अवसर है। शिक्षकों के योगदान को पहचानने से हमें यह समझ में आता है कि वे हमारे समाज के निर्माण में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक अच्छा शिक्षक न केवल लोगों को पढ़ाता है, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला भी सिखाता है। वे हमें सोचने, समझने और सवाल करने के लिए प्रेरित करते हैं।
शिक्षक दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विद्यार्थी इस दिन अपने शिक्षकों के सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण, नृत्य, नाटक, कविताएं और गीत प्रस्तुत करते हैं। इस दिन शिक्षक भी अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और उन्हें प्रेरित करने के लिए अपने पुराने अनुभव छात्रों के साथ साझा करते हैं। कई स्कूलों में इस दिन विद्यार्थी शिक्षक बनकर कक्षाएं भी लेते हैं, जो उन्हें शिक्षकों की मेहनत और जिम्मेदारियों को समझने का मौका देता है।
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