दशहरा पर कब किया जाएगा रावण दहन, जानिए शुभ मुहूर्त और विशेष महत्व

नई दिल्ली: दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की जीत प्राप्त की थी। इस साल 2024 में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को […]

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दशहरा पर कब किया जाएगा रावण दहन, जानिए शुभ मुहूर्त और विशेष महत्व

Shweta Rajput

  • October 11, 2024 4:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की जीत प्राप्त की थी। इस साल 2024 में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

रावण दहन का मुहूर्त

दशहरा के दिन रावण दहन का आयोजन सूर्यास्त के समय किया जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस वर्ष रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5:45 बजे से 7:30 बजे तक रहेगा। इस समयावधि को सबसे शुभ माना जा रहा है, और देशभर में इसी मुहूर्त के दौरान रावण के विशालकाय पुतलों का दहन किया जाएगा।

रावण दहन का महत्व

रावण दहन केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं है, बल्कि यह संदेश देता है कि अहंकार, अधर्म और अन्याय की अंततः हार होती है। भगवान राम ने 10 सिर वाले रावण का वध कर यह सिद्ध किया कि चाहे व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली हो, जब वह अधर्म का रास्ता अपनाता है, तो उसकी पराजय निश्चित होती है। रावण के 10 सिर उसके 10 अवगुणों – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, ईर्ष्या, और हिंसा – का प्रतीक माने जाते हैं। दशहरा के दिन इन अवगुणों को छोड़ने का संकल्प लिया जाता है।

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दशहरा उत्सव

भारतभर में दशहरा के अवसर पर भव्य आयोजन किए जाते हैं। कई स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है, जो भगवान राम की जीवनगाथा को प्रस्तुत करती है। रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाकर उनका दहन किया जाता है। यह न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि समाज को यह याद दिलाने का प्रयास है कि हमें हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। दशहरा का त्यौहार नवदुर्गा के नौ दिनों के उपरांत आता है और यह राक्षसी शक्तियों पर देवी-शक्तियों की विजय को भी दर्शाता है। इस दिन लोग अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं और नई शुरुआत के लिए इसे शुभ मानते हैं। कई स्थानों पर इसे कृषि से जोड़कर भी देखा जाता है, क्योंकि यह नए फसलों के आगमन का संकेत होता है।

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