नई दिल्ली: शरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ और ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। यह दिन देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा के लिए विशेष होता है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा का पर्व इस बार 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा या अनुष्ठान किया जाए, तो उसका फल तुरंत प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा को शरद ऋतु की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण तेजस्वी में रहता है और धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इसलिए, इस दिन चंद्रमा को विशेष रूप से पूजा जाता है। कहते हैं कि जो लोग शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में जागरण करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है। शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वालों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
1. स्नान और शुद्धिकरण: शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थान को शुद्ध जल से धोकर साफ करें।
2. देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की स्थापना: पूजा स्थान पर देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसे सफेद वस्त्र या आसन पर रखें। अगर चंद्रमा का चित्र उपलब्ध न हो, तो उसे सफेद कागज पर चित्रित किया जा सकता है।
3. पूजन सामग्री: इस पूजा के लिए दूध, चावल, कुमकुम, अक्षत (चावल), दीपक, धूप, मिठाई, और फूलों की जरूरत होती है। देवी लक्ष्मी और चंद्रमा को सफेद मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है।
4. पूजन विधि: पूजा स्थान पर दीप जलाएं और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करें। इसके बाद चंद्रमा की पूजा करें और उनके समक्ष खीर का भोग अर्पित करें। रात में चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य दें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें। पूजा के अंत में लक्ष्मी माता से धन-धान्य की वृद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें।
5. जागरण: शरद पूर्णिमा की रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें। इस रात चंद्रमा की रोशनी में बैठकर खीर खाना भी शुभ माना जाता है, जिससे सेहत और समृद्धि में वृद्धि होती है।
– पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में बैठकर ही खीर का सेवन करें, इससे विशेष लाभ मिलता है।
– पूजा के समय सफेद वस्त्र पहनना और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
– इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
Also Read…
न्यूक्लियर सबमरीन क्या है? जो भारत में बनेगी, इससे समंदर में होगी चीन की घेराबंदी