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कब है गोवर्धन पूजा, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली: गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्रदेव के अभिमान को चूर करने और प्रकृति के संरक्षण का प्रतीक है। इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं, जिसमें गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा होती है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 […]

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  • November 1, 2024 1:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्रदेव के अभिमान को चूर करने और प्रकृति के संरक्षण का प्रतीक है। इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं, जिसमें गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा होती है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गो-पूजन करते हैं। 2024 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

– गोवर्धन पूजा मुहूर्त: प्रातः 06:00 बजे से 08:30 बजे तक
– प्रतिपदा तिथि आरंभ: 1 नवंबर 2024 को रात 09:00 बजे से
– प्रतिपदा तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2024 को रात 08:45 बजे तक

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद गहरा है। इस पूजा के पीछे यह मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान कृष्ण ने देखा कि गाँववासी हर साल इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए बड़े आयोजन करते हैं, तो उन्होंने लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि यह पर्वत लोगों की सुरक्षा और समृद्धि का स्रोत है। जब इंद्रदेव क्रोधित होकर मूसलधार बारिश करने लगे, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गाँववासियों और मवेशियों की रक्षा की।

इस दिन किसान, व्यापारी और आम लोग अन्नकूट के रूप में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से भगवान को भोग अर्पित करते हैं और जीवन में समृद्धि की कामना करते हैं। गोवर्धन पूजा से यह संदेश मिलता है कि हमें प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और भगवान की भक्ति से हमारे जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा के दौरान घरों में गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक निर्माण किया जाता है। आमतौर पर मिट्टी से एक छोटी पहाड़ी बनाई जाती है, जिसे गोवर्धन पर्वत का रूप दिया जाता है। फिर फूल, पत्तियां और अन्य सजावटी सामग्री से इसे सजाया जाता है। भगवान कृष्ण की प्रतिमा को इस पर्वत के पास स्थापित कर पूजा की जाती है। भक्त इस दिन गायों की भी पूजा करते हैं और अन्नकूट के रूप में भोजन का भोग लगाते हैं।

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