नई दिल्ली: भक्ति और श्रद्धा के अद्भुत संगम का प्रतीक वृंदावन इस समय राधाष्टमी के उत्सव के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहाँ के मंदिरों और गलियों में भव्य सजावट हो चुकी है और चारों ओर राधारानी के भजन गूंज रहे हैं। राधाष्टमी, श्री राधारानी के जन्मोत्सव का पर्व, पूरे ब्रज क्षेत्र में धूमधाम […]
नई दिल्ली: भक्ति और श्रद्धा के अद्भुत संगम का प्रतीक वृंदावन इस समय राधाष्टमी के उत्सव के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहाँ के मंदिरों और गलियों में भव्य सजावट हो चुकी है और चारों ओर राधारानी के भजन गूंज रहे हैं। राधाष्टमी, श्री राधारानी के जन्मोत्सव का पर्व, पूरे ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। राधाष्टमी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है और यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो राधारानी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
वृंदावन में राधाष्टमी की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। प्रमुख मंदिरों में जैसे श्रीबांके बिहारी मंदिर, राधावल्लभ मंदिर और श्रीराधा रमण मंदिर में विशेष झांकी सजाई जाती है। इन मंदिरों में भक्तजन दूर-दूर से आकर राधारानी के दर्शन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वृंदावन की गलियों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है, और राधारानी के भजनों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है।
1. राधारानी की पूजा: राधाष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके राधारानी की पूजा करें। उन्हें सफेद फूल अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है। राधारानी को चंदन, तुलसी के पत्ते, और दूध से बने मिष्ठान्न भी अर्पित करना चाहिए।
2. राधा मंत्र का जाप: इस दिन राधारानी के मंत्र “ॐ राधायै नमः” का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
3. कन्याओं की सेवा: राधारानी को सभी स्त्रियों की देवी माना जाता है। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कन्याओं की सेवा करें और उन्हें भोजन, वस्त्र आदि दान दें। इससे राधारानी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
4. भजन कीर्तन: राधाष्टमी के दिन विशेष रूप से राधारानी के भजन और कीर्तन करना अत्यंत फलदायक होता है। “जय राधे” और “राधा नाम की महिमा” जैसे भजनों का गान करने से व्यक्ति राधारानी की भक्ति में लीन हो जाता है और उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
5. वृंदावन यात्रा: यदि संभव हो तो राधाष्टमी के अवसर पर वृंदावन की यात्रा करें। यहाँ के मंदिरों में राधारानी के दर्शन करना और उनके भक्तों के साथ इस पावन उत्सव में सम्मिलित होना, आपकी भक्ति को और भी प्रगाढ़ कर सकता है।
राधारानी को श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी और उनकी शक्ति माना जाता है। वे भक्ति, प्रेम और करुणा की देवी हैं। उनके भक्त कहते हैं कि राधारानी की कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति होती है। इसलिए भक्तजन राधारानी की भक्ति में लीन होकर उनसे कृपा की कामना करते हैं। राधाष्टमी का पर्व यह दर्शाता है कि भक्ति मार्ग में प्रेम और समर्पण का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन राधारानी के जन्म का उत्सव मनाने का अर्थ है, अपने जीवन में प्रेम, करुणा और सेवा को स्थान देना। भक्त इस दिन अपने मन, वचन और कर्म से राधारानी की भक्ति में लीन हो जाते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
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